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शादी/विवाह के लिए कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?

क्या आप जानते हें की शादी/विवाह
के लिए कौन से देवता की पूजा करनी
चाहिए?
समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने
की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-
वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर
ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह
विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-
बार प्रयास करने पर भी कहीं
बनती नहीं है. इस प्रकार
की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय
करने हितकारी रहते है. उपाय करने से
शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग
की बाधाएं दूर होती है.
हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है

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यदि शुक्र अस्त ,नीच शत्रु राशि नवांश का

से द्वेष ,व्यवसाय में बाधा ,पशु धन की हानि ,
सिनेमा –अश्लील साहित्य अथवा काम वासना की
ओर ध्यान लगे रहने के कुप्रभाव से शिक्षा प्राप्ति में
बाधा होती है | जिस भाव का स्वामी शुक्र होता
है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में
असफलता व हानि होती है |
गोचर में शुक्र का प्रभाव —–
जन्म या नाम राशि से 1,2,3,4,5,8,9,11,12 वें स्थान
पर शुक्र शुभ फल देता है |शेष स्थानों पर शुक्र का
भ्रमण अशुभ कारक होता है |
जन्मकालीन चन्द्र से प्रथम स्थान पर शुक्र का गोचर
सुख व धन का लाभ,शिक्षा में सफलता

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यात्रा तो सभी करते हैं,

यात्रा तो सभी करते हैं, कभी
सफलता तो कभी असफलता हाथ
लगती है। यात्रा कभी इतनी सुखद
होती है कि दौड़-धूप भरी जिंदगी
की सभी थकान दूर हो जाती है।
कभी यात्रियों को दुर्घटना के
कारण जान भी गंवानी पड़ जाती है।
आखिर क्या है इसका रहस्य? शायद
सही मुहूर्त का चुनाव। समय का
अभाव होने के कारण लोग प्रायः
मुहूर्त के महत्व को भूल जाते हैं। मुहूर्त
की तब याद आती है जब यात्रा
निरर्थक, निष्फल एवं नुकसान दायक
साबित होती है। तब व्यक्ति इस बात
को सोचने को मजबूर हो जाता है
कि काश मैंने अपनी यात्रा शुभ मुहूर्त

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