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नवरात्रि पर विशेष साधकों के लिए

कुछ लोग दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद हवन खुद की मर्जी से कर लेते है और हवन सामग्री भी खुद की मर्जी से लेते है ये उनकी गलतियों को सुधारने के लिए है।
दुर्गा सप्तशती के वैदिक आहुति की सामग्री---(एक बार ये भी करके देखे और खुद महसुस करे चमत्कारो को)
प्रथम अध्याय-एक पान देशी घी में भिगोकर 1 कमलगट्टा, 1 सुपारी, 2 लौंग, 2 छोटी इलायची, गुग्गुल, शहद यह सब चीजें सुरवा में रखकर खडे होकर आहुति देना।
द्वितीय अध्याय-प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, गुग्गुल विशेष
तृतीय अध्याय- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक सं. 38 शहद

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भूलकर भी इन दिनों में न करें ये काम, वरना जाने पड़ेगा नर्क

हिंदू धर्म में श्राद्ध का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका श्राद्द करना जरुरी माना जाता है। तभी हमारे पूर्वज को मुक्ति, मोक्ष मिलती है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। इस बार 10 सितंबर से पितृपक्ष के श्राद्ध शुरु हो रहे है। जो कि 25सितंबर को देव दर्श अमावस्या के साथ समाप्त होगे।

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करें ये दस काम, हो सकती है धन के साथ संतान हीनता

हिंदू धर्म के अनुसार अश्विन माह में पितृ पक्ष का समय चल रहा है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इस वर्ष ये 5 सितंबर से 20 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान हमारे पितृ यमलोक से घरती पर आते हैं और हमारे आस-पास विचरण करते हैं। इस दौरान हमें उनको खुश करने पर ध्यान देना होता है। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। ये मान्यता है कि ब्राह्मण को भोजन करवाने का अर्थ पितरों को भोजन करवाने से होता है। हिंदू धर्म में ये भी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के पितृ रुष्ट हो जाए तो उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पितरों की अशांति के कई कारण हो सकते हैं। उनकी अशांति से व्यक्ति को धन की हानि और सं

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