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कामदेव मंत्र

कामदेव मंत्र
‘ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो
अनंग प्रचोदयात्।’ इस मंत्र के जप से दांपत्य जीवन में
प्रेम बढ़ता है और सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्त होता
है। कामदेव का एक शाबर मंत्र है ‘ऊँ नमो भगवते
कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं
पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।’ माना जाता है कि इस
मंत्र के जप से व्यक्ति में आकर्षण और सेक्स क्षमता
बढ़ती है।
शुक्र मंत्र
ओम द्राँ द्रीँ द्रौँ स: शुक्राय नम:।

 

 

 

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कुण्डली में नौ ग्रह अपना समय

है। जातक की कुण्डली में उस दौरान भले ही किसी
अन्य ग्रह की दशा चल रही हो लेकिन उम्र के अनुसार
ग्रह का भी अपना प्रभाव जारी रहता है।25 से 28
वर्ष – यह शुक्र का काल है। इस काल में जातक में
कामुकता बढती है। शुक्र चलित लोगों के लिए
स्वर्णिम काल होता है और गुरू और मंगल चलित लोगों
के लिए कष्टकारी। मंगल प्रभावी लोग काम से
पीडित होते हैं और शुक्र वाले लोगों को अपनी
वासनाएं बढाने का अवसर मिलता है। इस दौरान जो
लव मैरिज होती है उसे टिके रहने की संभावना अन्य
कालों की तुलना में अधिक होती है। शादी के

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संतान दोष : जानिए ज्योतिषीय कारण

अधिकांश महिलाएं भाग्यशाली होती हैं जिन्हें यह
सुख प्राप्त हो जाता है।
फिर भी काफी महिलाएं ऐसी हैं जो मां बनने के सुख
से वंचित हैं। यदि पति-पत्नी दोनों ही स्वास्थ्य की
दृष्टि से उत्तम हैं फिर भी उनके यहां संतान उत्पन्न
नहीं हो रही है। ऐसे में संभव है कि ज्योतिष संबंधी
कोई अशुभ फल देने वाला ग्रह उन्हें इस सुख से वंचित
रखे हुए है। यदि पति स्वास्थ्य और ज्योतिष के दोषों
से दूर है तो स्त्री की कुंडली में संतान संबंधी कोई
रुकावट हो सकती है।
ज्योतिष के अनुसार संतान उत्पत्ति में रुकावट पैदा
करने वाले योग——

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