यदि शुक्र अस्त ,नीच शत्रु राशि नवांश का

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से द्वेष ,व्यवसाय में बाधा ,पशु धन की हानि ,
सिनेमा –अश्लील साहित्य अथवा काम वासना की
ओर ध्यान लगे रहने के कुप्रभाव से शिक्षा प्राप्ति में
बाधा होती है | जिस भाव का स्वामी शुक्र होता
है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में
असफलता व हानि होती है |
गोचर में शुक्र का प्रभाव —–
जन्म या नाम राशि से 1,2,3,4,5,8,9,11,12 वें स्थान
पर शुक्र शुभ फल देता है |शेष स्थानों पर शुक्र का
भ्रमण अशुभ कारक होता है |
जन्मकालीन चन्द्र से प्रथम स्थान पर शुक्र का गोचर
सुख व धन का लाभ,शिक्षा में सफलता
,विवाह,आमोद-प्रमोद ,व्यापार में वृद्धि कराता है |
दूसरे स्थान पर शुक्र के गोचर से नवीन वस्त्राभूषण
,गीत संगीत में रूचि ,परिवार सहित मनोरंजन
,धनालाभ व राज्य से सुख मिलता है |
तीसरे स्थान पर शुक्र का गोचर मित्र लाभ ,शत्रु की
पराजय ,साहस वृद्धि ,शुभ समाचार प्राप्ति ,भाग्य
वृद्धि ,बहन व भाई के सुख में वृद्धि व राज्य से सहयोग
दिलाता है |
चौथे स्थान पर शुक्र के गोचर से किसी मनोकामना
की पूर्ति ,धन लाभ ,वाहन लाभ ,आवास सुख
,सम्बन्धियों से समागम ,जन संपर्क में वृद्धि व
मानसिक बल में वृद्धि होती है |
पांचवें स्थान पर शुक्र के गोचर से संतान सुख
,परीक्षा में सफलता ,मनोरंजन ,प्रेमी या प्रेमिका से
मिलन ,सट्टा लाटरी से लाभ होता है |
छ्टे स्थान पर शुक्र के गोचर से शत्रु वृद्धि ,रोग भय
,दुर्घटना ,स्त्री से झगडा या उसे कष्ट होता है |
सातवें स्थान पर शुक्र के गोचर से जननेंन्द्रिय
सम्बन्धी रोग ,यात्रा में कष्ट ,स्त्री कोकष्ट या उस
से विवाद ,आजीविका में बाधा होती है|
आठवें स्थान पर शुक्र के गोचर से कष्टों की निवर्ति
,धन लाभ व सुखों में वृद्धि होती है |
नवें स्थान पर शुक्र के गोचर राज्य कृपा,धार्मिक
स्थल की यात्रा ,घर में मांगलिक उत्सव ,भाग्य वृद्धि
होती है |
दसवें स्थान पर शुक्र के गोचर से मानसिक चिंता
,कलह,नौकरी व्यवसाय में विघ्न ,कार्यों में असफलता
,राज्य से परेशानी होती है |
ग्यारहवें स्थान पर शुक्र के गोचर से धन ऐश्वर्य की
वृद्धि,कार्यों में सफलता, मित्रों का सहयोग मिलता
है |
बारहवें स्थान पर शुक्र के गोचर सेअर्थ लाभ, भोग
विलास का सुख,विदेश यात्रा ,मनोरंजन का सुख
प्राप्त होता है |
( गोचर में शुक्र के उच्च ,स्व मित्र,शत्रु नीच आदि
राशियों में स्थित होने पर , अन्य ग्रहों से युति ,दृष्टि
के प्रभाव से , अष्टकवर्ग फल से या वेध स्थान पर
शुभाशुभ ग्रह होने पर उपरोक्त गोचर फल में परिवर्तन
संभव है | )