नशाखोरी

हमारे समाज में युवा पीढ़ी को नशे के ओर अग्रसर होते देख किसे दुःख नहीं होता | दुर्भाग्य से पिछले पांच सालों में यह बुराई बुरी तरह बढती जा रही है | कुछ लोग अपनी मर्जी से नशा करते हैं कुछ शोकिया होते हैं जो बाद में अपने आप को नशे की आग में झोंक देते हैं परन्तु कुछ कुसंगति के कारण इस लत का शिकार हो जाते हैं | हमारे और आपके बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं | हर कोई इस बुरी लत से अपने बच्चों और अन्य सदस्यों को बचाना चाहेगा | खुद नशे की लत के शिकार कुछ लोग यही चाहते हैं की किसी तरह से इस लत से छुटकारा मिल जाए परन्तु उनका इस पर कोई वश नहीं |  नशा व्यक्ति की रगों में पहुँच कर व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेता है व्यक्ति मानसिक रूप से पंगु हो जाता है |

भारतीय ज्योतिष में कहा गया है की जब राहू का जन्म लग्न से कुंडली के १२वें भाव से या लग्नेश से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध स्थापित हो जाता है तो व्यक्ति नशे की ओर अग्रसर हो जाता है | स्मैक, अफीम, गांजा, भांग, शराब हो या बीडी सिगरेट और तम्बाकू, किसी भी सूरत में नशा केवल भयानक भविष्यहै और जिसका परिणाम मृत्यु है|

जो लोग अपने बच्चों की कुंडली लेकर मेरे पास आते हैं उन्ही में से किसी एक को संदेह हुआ और उन्होंने जानना चाहा की उनका बेटा किसी प्रकार के नशे से ग्रस्त तो नहीं तो इस विषय पर मैंने उनसे जो कुछ कहा उसका उन्होंने पालन किया और परमात्मा की कृपा से से खतरा टल गया | नशामुक्ति केंद्र से सहायता लेने पर दो महीने बाद अब स्थिति सामान्य है | यदि आपको भी शक हो की आपके भी घर में कोई इस व्याधि से ग्रस्त है और आप उसकी सहायता करना चाहते हैं तो यह पता लगाने के लिए कि कोई व्यक्ति नशा करता है या नहीं तो जन्मकुंडली से इसका पता लगाया जा सकता है | कि किस हद तक कोई व्यक्ति नशा कर सकता है | यदि हर माँ बाप को यह भान हो जाये जिनका बच्चा  नशा कर रह है | तो शायद कुछ जिंदगियां बाख सकें मेरा अभिप्राय केवल इंतना है | कि घरवालों को इसकी खबर ही नही लग पाती कि कब और कैसे उनके परिवार का सदस्य नशा करने लग गया है | नशे की लत्त को छुड़ाने के लिय सरकार ने नशा मुक्ति केन्द्र खोल रखे हैं | पता चलते ही वहां से मदद लेनी चाहिए |

यथासंभव यह प्रयास करना चाहिये जो कि नशा मुक्ति के लिए सीधा और सरल रास्ता है | मेरा यह लेख उन लोगो के लिए है जो नशा छोड़ना चाहते है लेकिन छोड़ नही पाते नशे का संबंध मन मस्तिष्क से है | मन मस्तिष्क का कारक चन्द्रमा है | हालाँकि बुध को भी बुद्धि का कारक माना गया है  परन्तु मेरे विचार में जब चंद्रमा,शनि,केतु,राहु से पीड़ित हो तो व्यक्ति का मन वही करता है जो उससे दुष्ट ग्रह करवाना चाहते हैं | केवल आपका मन ही है जिसके द्वारा नशे पर विजय पाई जा सकती है | नशे को छोड़ा जा सकता है | चन्द्रमा पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो समझ लेना चाहिए कि नशा व्यक्ति को अपने आगोश से मुक्त कर देगा | शुभ ग्रह की दृष्टि के आभाव में लग्न पर शुभ ग्रह की दृष्टि का विचार करना चाहिए  |

एक जन्मकुंडली के सोलह भाग होते हैं जिन्हें षोडश वर्ग कहा जाता है | इनमे नवमांश अर्थात जन्मकुंडली के नोवें भाग को नवमांश कहते हैं | दसवें को दशमांश फिर द्रेष्काण चक्र, द्वादशांश, त्रिन्श्मांश आदि कुल मिलाकर सोलह कुंडलियाँ होती हैं जिनसे किसी ग्रह के बल का बारीकी से अध्ययन किया जा सकता है | आज के पंडित को इन सब चीजों से कोई लेना देना नहीं होता क्योंकि इस पर काफी समय खर्च होता है और फिर किताबें पढ़कर इन सब चीज़ों का ज्ञान नहीं होता | मेरी दृष्टि में इन सभी का आंकलन किया जाना अति आवश्यक है |

तो इस तरह हम किसी ग्रह का गहराई से अध्ययन करके स्पष्ट स्थिति से व्यक्ति को रूबरू करवा सकते हैं |

अब बात आती है उन लोगों की जो नशे को हर हाल में छोड़ना चाहते हैं | आपके ग्रह चाहे कितने ही खराब क्यों न हों मेरे विचार में पुरुषार्थ द्वारा, कर्म द्वारा इच्छा शक्ति के बल पर ग्रहों की चाल को बदला जा सकता है |

जिस कर्म की मैं बात कर रहा हूँ उसमे किसी भी प्रकार का मंत्र नहीं पढना है कोई खर्चा नहीं करना है किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है और तो और कहीं जाने के लिए स्थान विशेष की भी आवश्यकता नहीं है |

यह क्रिया मन को मजबूत बनाने की है | यदि मन बलवान होगा तो आपकी इच्छा शक्ति काम करेगी और आप अपनी इच्छा से यह दुष्कर कार्य बड़ी ही सुगमता से कर पायेंगे |

इच्छा शक्ति को बढ़ाकर नशे पर काबू पाया जा सकता है |

मन को मजबूत बनाने के कुछ उपाय

ध्यान : लिए नित्य कर्म निवृत्त होकर बैठ जाएँ शरीर को ढीला छोड़ दें और आंखें बंद कर लें | आपको कुछ भी सोचना नही है | आपके मन में विचारो की जो उथल पथल है उससे बाहर आइये सोचना बंद करने का प्रयत्न कीजिये | अपनी आँखों के द्वारा अपने हृदय की ओर ध्यान दीजिये | इस अवस्था में आपको पहले पांच दिन दो मिनट तक रहना है | उसके पश्चात् हर दिन दो मिनट बढ़ा दीजिये | जैसे कि छ्टे दिन एक मिनट बढ़ा दीजिये | सातवें दिन चार मिनट आठवें दिन पांच मिनट अस्तु |

पहले दस दिन आपको कुछ खास फर्क नही पड़ेगा | तत्पश्चात आप धीरे-धीरे अनुभव करने लगे गें कि आपका क्रोध कम हो रहा है बीस दिनों के बाद आपको तृष्णा कम होने लगेगी | एक महीने बाद भूख-प्यास,दर्द,बैचेनी,क्रोध,लालच ये सब चीजें आपके नियन्त्रण में आनी शुरू हो जाएंगी | अर्थार्त आपके अंदर इतनी शक्ति आ जायेगी कि आप पुरे दिन बिना खाए रह सकते है प्यास पर आपने काबू पा लिया है | आप अधिक देर तक प्यासे रह सकते हैं | इसी तरह आपको नशे की भी जरूरत कम महसूस होगी |

इसके बाद भी यह क्रिया बंद नही करनी है अपितु आप अपने मन को अधिक देर तक अकग्र करने का प्रयत्न करत रहिये | तीन महीने बाद वह अवस्था आ जाती है जब व्यक्ति को भान होता है कि यह शरीर नश्वर है केवल आत्मा अम्र है आपको भय नही लगेगा, क्रोध नही सताएगा नशा आप कभीका छोड़ चुके होंगे | कीसी भी प्रकार के व्यसन की इच्छा नही रहेगे | यह मार्ग परमानंद को जाता है जाते रहिये |

त्राटक : त्राटक मन को एकाग्र करने का दूसरा उपाय है इसे समझा जाये तो यह कठिन नही है | पाठक इसे एक जानकारी की तरह पढ़ें और किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें इसमें एक बिंदु किसी छत्र ज्योति अथवा किसी विशेष क्रिस्टल पर अपनी दृष्टि को स्थिर करना होता है शुरू में पांच मिनट और अभ्यास हो जाने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है अभ्यस्त हो जाने के बाद व्यक्ति को भूत वर्तमान भविष्य का ज्ञान होने लगता है ऋषि मुनियों साधुओं के लिए साधना का यह प्राथमिक चरण होता है

अभिप्राय यह है कि सरल से लगने वाले इन उपायों के द्वारा अनेको सिधीयाँ प्राप्त की जा सकती हैं परन्तु विशेषज्ञ या गुरु की उपस्थति,निर्देश परमावश्यक है | पाठकगण कृपया अपने विवेक का प्रोयग करें |

ध्यान योग आदि के द्वारा अत्यंत दुष्कर कार्य किये जा सकते हैं तो यह नशा तो कुछ भी नही हैं | मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं | कृपया किसी भी प्रकार की शंका, कुतुहल शिकायत और सुझाव के लिए मुझसे सम्पर्क करें |