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त्रीभि अस्तै भवे ज़डवत

ज्योतिष शास्त्र में अस्त ग्रह के परिणामों की विशद व्याख्या मिलती है। अस्तग्रहों के बारे में यह कहा जाता है : "त्रीभि अस्तै भवे ज़डवत", अर्थात् किसी जन्मपत्रिका में तीन ग्रहों के अस्त हो जाने पर व्यक्ति ज़ड पदार्थ के समान हो जाता है। ज़ड से तात्पर्य यहां व्यक्ति की निष्क्रियता और आलसीपन से है अर्थात् ऎसा व्यक्ति स्थिर बना रहना चाहता है, उसके शरीर, मन और वचन सभी में शिथिलता आ जाती है। 

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ज्योतिष क्या विज्ञान है?

ज्योतिष क्या विज्ञान है? क्या ज्योतिषी भाग्य
बदल सकने में समर्थ है ?
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ज्योतिष निश्चित रूप से विज्ञान है। लेकिन
विज्ञान की तरह इसकी भी सीमाएं हैं। विज्ञान के
विभिन्न क्षेत्रों में लगातार अनुसंधान चल रहे हैं।
जबकि ज्योतिष में ऐसा नहीं है। ज्योतिषी अनुसंधान
करने के बजाय इसे धन कमाने का साधन बनाए हुए हैं।
ज्योतिष को अंधविश्वासों से जोड़कर और फिर उन्हें
दूर करने के उपायों के नाम पर
लोगों को लूटा जाता है। इससे इस पवित्र विद्या के

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जन्म कुंडली और सुन्दर पत्नी

है | उतना ही जितना आप अपना स्वयं का महत्व समझते
हैं | इसलिए कभी अनदेखा न करें यदि कुंडली के सप्तम
स्थान में मंगल, शनि, राहू, केतु या सूर्य में से एक भी ग्रह
मौजूद हो | यदि इनमे से सूर्य हो तो विशेष
चिंता की बात नहीं है जब तक की सूर्य मकर
या तुला राशी का न हो | मंगल भी यदि मेष वृश्चिक
धनु मकर मीन का यहाँ होगा तो विशेष नुक्सान
नहीं करेगा परन्तु यदि कर्क तुला मिथुन
कन्या राशी का मंगल सप्तम में हो तो प्रबल मंगलीक
योग के साथ साथ आपकी अपनी पत्नी के साथ
नहीं बनेगी | राहू के सप्तम भाव में होने का अर्थ है

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