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शुक्र कन्या राशि में

प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों में
समस्याएं पैदा कर सकता है। महिलाओं की कुंडली में
शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन
प्रणाली को कमजोर कर सकता है तथा उनके
ॠतुस्राव, गर्भाशय अथवा अंडाशय पर भी
नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है जिसके कारण उन्हें
संतान पैदा करनें में परेशानियां आ सकतीं हैं। शुक्र
शारीरिक सुखों के भी कारक होते हैं तथा संभोग से
लेकर हार्दिक प्रेम तक सब विषयों को जानने के लिए
कुंडली में शुक्र की स्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती
है।

 

 

 

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6ठे भाव से सम्बन्धित समस्त जानकारी

निश्चय करे
कि यही फल मिलेगा इसके लिये हमे भाव से
भाव को जोड़ना पड़ेगा
भाव से भाव को केसे जोड़े यह हम सूचको के द्वरा जोड़ेगे सूचक
किसे कहते है इसे हम बनाते है
A भाव में स्थित ग्रह के नक्षत्र में स्थित ग्रह
B भाव में स्थित ग्रह
C भाव के स्वामी के नक्षत्र में स्थित ग्रह
D भाव स्वामी
इस प्रकार से हम 12 ही भावो के सूचक जान सकते
हे जो ग्रह जिन भाव के सूचक होगे उन्
ही भावो का फल अपनी दसाओ में देगा किन्तु
जो ग्रह फल दे रहा है वह ग्रह जिस भाव
का स्वामी होगा वहा से किन बातो का विचार किया जाता है

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श्रीशनि आराधना के प्रमुख मंत्र व स्तोत्र

यदि आप शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो
आप यह छोटे-छोटे प्रयोग करें। इन प्रयोगों से शनि निश्चित
ही आप पर प्रसन्न होंगे और आपको मनोवांछित फल
प्रदान करेगा।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि की टेढ़ी
नजर यानि वक्र दृष्टि हर व्यक्ति के जीवन में
हलचल मचाती है। जहां शुभ ग्रह के प्रभाव से
शनि दशा शुभ फल भी दे सकती है,
लेकिन अशुभ ग्रहों के असर से शनि दशा के बुरे नतीजे
भी दिखाई देते हैं। इसलिए शास्त्रों में शनि दशा चाहे
वह ढैय्या, महादशा सा साढ़े साती हो, के लिए कुछ
मंत्र विशेष के जप का महत्व बताया गया है।

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