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गुप्त ग्रन्थ मे अनेको साधना रहस्य दिये गए है

लुप्तता को प्राप्त हो गए. खेर, इस ग्रन्थ मे कई
देवी देवताओ की साधना विधियां स्पष्ट की गई है
जिसमे मारण, वशीकरण, आकर्षण, मोहन और कार्य
सिद्धि से सबंधित प्रयोग निहित है. प्रस्तुत प्रयोग
ग्रन्थ का एक कीमती रत्न है. यह सर्वेश्वरी साधना है.
इस साधना का मंत्र स्वयं सिद्ध है इस लिए
सफलता की संभावना ज्यादा है. साथ हि साथ इस
मंत्र की एक और खासियत यह है की व्यक्ति इसमें
साधना क्रम का चुनाव खुद कर सकता है तथा अपने
मनोकुल परिणाम के लिए प्रयत्न कर सकता है. इस
प्रकार तंत्र के क्षेत्र मे यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और
गोपनीय प्रयोग है.

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शिवलिंग के निर्माण के लिये स्वर्णादि विविध

इसके बारे में कहा गया है कि,
मृदः कोटि गुणं स्वर्णम, स्वर्णात्कोटि गुणं मणिः,
मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥
अर्थात मिटृी से बने शिवलिंग से करोड गुणा ज्यादा
फल सोने से बने शिवलिंग के पूजन से, स्वर्ण से करोड
गुणा ज्यादा फल मणि से बने शिवलिंग के पूजन से,
मणि से करोड गुणा ज्यादा फल बाणलिंग से तथा
बाणलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल रस अर्थात पारे
से बने शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है। आज तक
पारे से बने शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो बना है
और न ही बन सकता है।

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नेगेटिव एनर्जी

वास्तु शास्त्र पॉजिटिव व नेगेटिव ऊर्जा के सिद्धांत
पर कार्य करता है। यदि घर में या घर के आस-पास कोई
ऐसी वस्तु हो, जिससे नेगेटिव
ऊर्जा निकलती हो तो यह गंभीर वास्तु दोष
की श्रेणी में आता है। ऐसे दोषों को इस प्रकार दूर
किया जा सकता है-
1. घर के आंगन में सूखे एवं भद्दे दिखने वाले पेड़ जीवन के
अंत की ओर इशारा करते हैं। ऐसे पेड़ों या ठूंठ को शीघ्र
ही कटवा देना चाहिए।
2. इंटीरियर डेकोरेशन के लिए कुछ
ऐसी कलाकृतियों का प्रयोग होता है जो सूखे ठूंठ
या नकारात्मक आकृति के होते हैं। ये सभी मृतप्राय:

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