ज्योतिष क्या विज्ञान है?

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ज्योतिष क्या विज्ञान है? क्या ज्योतिषी भाग्य
बदल सकने में समर्थ है ?
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ज्योतिष निश्चित रूप से विज्ञान है। लेकिन
विज्ञान की तरह इसकी भी सीमाएं हैं। विज्ञान के
विभिन्न क्षेत्रों में लगातार अनुसंधान चल रहे हैं।
जबकि ज्योतिष में ऐसा नहीं है। ज्योतिषी अनुसंधान
करने के बजाय इसे धन कमाने का साधन बनाए हुए हैं।
ज्योतिष को अंधविश्वासों से जोड़कर और फिर उन्हें
दूर करने के उपायों के नाम पर
लोगों को लूटा जाता है। इससे इस पवित्र विद्या के
प्रति लोगों का विश्वास समाप्त होता जा रहा है।
जहां तक इस बात का प्रश्न है कि एक
ही कुण्डली या घटना पर विद्वान
ज्योतिषियों की अलग-अलग भविष्यवाणी होती है।
तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए। एक
रोगी यदि कई डॉक्टरों के पास जाता है
तो उनकी राय भी अलग होती है। विद्वान
ज्योतिषी एकाग्रचित्त होकर
किसी कुण्डली का विश्लेषण कर कोई
भविष्यवाणी करता है तो वह 90 प्रतिशत से अधिक
सही हो सकती है।
ज्योतिष का उद्देश्य लोगों का मार्गदर्शन करना और
उनके जीवन का उद्देश्य बताना है। ज्योतिषी भगवान
नहीं है। और न ही किसी का प्रारब्ध बदल सकता है।
वह सही मार्गदर्शन कर सकता है। जिससे
किंकर्तब्यविमूढ़ व्यक्ति को सही दिशा मिल सके।
व्यक्ति का प्रारब्ध या नियति उसके संचित कर्मों के
अनुसार बनती है। पिछले जन्मों में किये कर्म
व्यक्ति को भोगने ही पड़ते हैं। महाभारत में
कहा गया है कि जिस प्रकार से गायों के झुंड में
बछड़ा अपनी मां को पहचान लेता है, उसी प्रकार
विगत जन्मों में किए गए कर्म अपने कर्ता को पहचान
कर उस तक पहुंच जाते हैं। लेकिन अतीत की स्मृति,
वर्तमान की उत्तेजना और भविष्य
की अनिश्चितता व्यक्ति को ज्योतिषी के पास ले
जाती है। प्रारब्ध को पूरी तरह तो नहीं लेकिन कुछ हद
तक बदला जा सकता है। फलों की सीमाएं कम
ज्यादा की जा सकती हैं। कर्मों के अच्छे
फलों को बढ़ाया जा सकता है। खराब फलों को कम
किया जा सकता है। लेकिन पूरी तरह समाप्त
नहीं किया जा सकता है। ज्योतिष के उपायों से
तकलीफ कुछ घट सकती है। उसे सहने की शक्ति मिल
सकती है।
ज्योतिषी ‘काल सर्प’, ‘शनि की ढइया’,
‘शनि की साढ़े साती’ से डरा कर और ‘मांगलिक दोष’
को दूर करने के उपायों का नाम लेकर परेशान लोगों से
हजारों रूपये ऐंठ लेते हैं। मैंने ज्योतिष के
शास्त्रों का अध्ययन किया है लेकिन मुझे कहीं काल
सर्प का जिक्र नहीं मिला। मैंने कई
ज्योतिषियों को चुनौती दी कि वो मुझे वह शास्त्र
दिखाएं जिनमें काल सर्प दोष का उल्लेख हो, लेकिन
आज तक किसी ने काल सर्प दोष के लिए कोई शास्त्र
नहीं दिखाया। यहां तक कि प्रसिद्ध मंदिर
जहां काल सर्प दोष दूर करने की विशेष
पूजा की जाती है। वहां भी मैंने उन ज्योतिषियों से
उन शास्त्रों के बारे में जानना चाहा जिनमें काल सर्प
दोष का उल्लेख हो, लेकिन मुझे वहां भी किसी ने
नहीं बताया। उनका कहना था कि जब लोग काल सर्प
दोष दूर कराने के लिए खुद चल कर यहां आते हैं तो हमें
क्या परेशानी है। वास्तव में ज्योतिष सांकेतिक
होता है। यदि ज्योतिषी उपाय करके भाग्य बदल सकते
होते तो वे ईश्वर ही न बन जाते।
मैं कुछ उदाहरण देती हूं, जिसे कोई नकार नहीं सकता है।
कालसर्प योग से ज्योतिषी ने आम जनता को बहुत
डराया है। लेकिन मैं आपको ऐसे लोगों के बारे में
बता सकती हूं जो अपनी कुण्डली में काल सर्प योग
होने के बावजूद वो जीवन में शीर्ष पर पहुंचे। मार्ग्रेट
थेचर की तुला लग्न की कुण्डली है और चौथे घर में मकर
राशि में केतु और दसवें घर में कर्क राशि में राहु के बीच
सारे ग्रह हैं। पांचवे से नवें घर में कोई ग्रह नहीं है।
वो इंग्लैंड की प्रधानमंत्री बनीं। अमरीका के पूर्व
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की कर्क
राशि की कुण्डली में केतु पांचवे घर में वृश्चिक राशि में
हैं और राहु ग्यारहवें घर में वृष राशि में हैं। और सारे ग्रह
राहु-केतु के बीच बारहवें घर से लेकर तीसरे घर के बीच हैं।
और बाकी घरों में कोई ग्रह नहीं है। धीरूभाई
अंबानी की धनु लग्न की कुण्डली में भी राहु कुम्भ
राशि में तीसरे घर में है और केतु नवें घर में है। उसी के बीच
सारे ग्रह हैं। तीनों की कुण्डली में काल सर्प दोष
बताते हैं लेकिन तीनों अपने करिअर में उच्च स्थान पर
पहुंचे हैं।
हम यह नहीं कहते कि ज्योतिषीय उपाय बेकार होते है
उनका फल नहीं मिलाता पर हाँ उपाय खुद करने से फल
मिलता है। किसी ज्योतिषी को पैसा देकर अपने
या अपने रिश्तेदारों का भाग्य बदलने के लिए उपाय
करने का ठेका दे दिया जाए तो उसका असर
नहीं होता। पंडित जी ईश्वर तो हैं
नहीं कि आपका भाग्य बदल देंगे। गुप्तकाशी के एक
सन्यासी थे। उन्हें सब भगवान कहा करते थे।
उनका कहना था कि जब कोई ब्राह्मण अपनी फीस
मांगता है तो वह बनिया या महाजन हो जाता है।
शनि को अनुकूल बनाने के लिए हनुमान
चालीसा का पाठ सबसे आसान उपाय है।
ज्योतिषी के पास जाओ तो अपना रोना मत रोओ
और न ही अपने सभी पत्ते खोलो। ऐसे
कर्मकांडी ब्राह्मण आज नहीं हैं जो मनोयोग और
निस्वार्थ भावना से किसी के लिए कुछ करें। 1931
की जनगणना में कर्मकांडी ब्राह्मणों की संख्या कुल
जनसंख्या का तीन प्रतिशत थी। अब पता नहीं कि ये
संख्या घट कर कितनी रह गई है।
अनुष्ठान तभी सफल होगा जब अनुष्ठान करने
वाला निस्वार्थ भाव से उसे करे। उसे किसी प्रकार
का लालच न हो।
यह कहना उचित नहीं कि शनि की साढ़े परेशानी और
समस्याएं लाती है। नेहरू और मोरारजी देसाई जैसे
नेताओं के कई उदाहरण मिल जाएंगे जो शनि की साढ़े
साती में शीर्ष पर पहुंचे। वास्तव में कोई ग्रह
अच्छा या बुरा नहीं होता। ग्रहों का असर
तो वहीं होता है जहां मनुष्य के कर्म होते हैं। मनुष्य के
कर्मों से ही उसे अच्छे या बुरे फल मिलते हैं। इन ग्रहों के
बारे में जो पौराणिक कथाएं हैं, केवल कथा मानकर
उनकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। यदि ऐसा करेंगे
तो हम ज्योतिष की भविष्यवाणी करने के सिद्धांत
को नजरअंदाज कर देंगे। शनि के असर से व्यक्ति एक से
नाता तोड़ कर दूसरे से जोड़ सकता है। आध्यात्मिक
जीवन में संसार के मोह का विनाश केवल शनि ही कर
सकते हैं। शनि की मदद के बगैर
बैरागी नहीं बना जा सकता। बैराग्य का कारण
शनि होता है। इसमें बुरा क्या है? आज हम प्रजातंत्र
की बात करते हैं। प्रजातंत्र का सबसे मुख्य ग्रह शनि है।
शनि जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
शनि का प्रभाव क्या होगा या किसी ग्रह
का विशेष परिस्थिति में क्या प्रभाव होगा, यह बात
दशा-अन्तरदशा देख कर बताई जानी चाहिए।
शनि जन्म चंद्र से चतुर्थ में जाए तो कंटक शनि होता है।
जिससे उत्तर भारत के लोगों में भय पैदा होता है।
लेकिन कंटक शनि बेहतरीन करिअर भी दे सकता है।
शनि, राहु, केतु के बारे में भी ज्योतिषियों ने
भ्रांतियां फैलाई हुई हैं। जिससे लोग उनकी जेबें भर सकें।
असल में शनि को “काल” कहते हैं। और
ज्योतिषी लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए “काल”
का अर्थ “मृत्यु” बताते हैं। उसका सही अर्थ छिपा जाते
हैं। वास्तव में “काल” का अर्थ “समय घड़ी” से भी है।
लोगों को ज्योतिषी बताते हैं कि गोचर
का शनि लग्न से सप्तम हो जाए तो शादी मत करो। मैं
इसे नहीं मानती । इसी प्रकार गोचर के शनि का पंचम
अथवा पंचमेश से सम्बंध हो जाए तो संतान का समय
हो जाता है। ऐसे ही शनि का दशम अथवा दशमेश से
सम्बंध हो तो कार्य क्षेत्र में किसी विशेष घटना के
घटने का समय होता है। लेकिन
वो घटना अच्छी होगी अथवा खराब,
इसकी भविष्यवाणी दशा- अन्तरदशा देखने के बाद
ही की जा सकती है।
शनि के राशि बदलने का प्रभाव मेदनी ज्योतिष में
देखा जाता है। मेदिनी ज्योतिष में शनि के
राशि बदलने का प्रभाव बहुत प्रत्यक्ष और व्यापक है।
शनि का किसी नक्षत्र विशेष में प्रवेश
मेदिनी ज्योतिष में मुख्य आधार होता है। जैसे
कन्या राशि में हस्त नक्षत्र में शनि का जब प्रवेश हुआ
था, उसके आधार पर किसी विख्यात अभिनेता के लिए
मुसीबत आने की भविष्यवाणी की गई थी। उस वक्त
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के गंभीर
दुर्घटना घटी थी। विशाखा नक्षत्र में शनि का प्रवेश
होने से पूर्व मैंने भविष्यवाणी की थी कि वो वक्त
श्रीमती इंदिरा गांधी के लिए भारी होगा। जून
1984 में की गई उस भविष्यवाणी की रूप देश
को अक्टूबर 1984 में देखने को मिला। जब
श्रीमती गांधी की हत्या कर दी गई।
अब बात करते है जुड़बा बालकों की-----
एक ही स्थान पर एक ही समय पैदा हुए
बच्चों का भविष्य अलग क्यों होता है?
बच्चों की कुण्डलियां अपने मां-बाप से आंतरिक रूप से
जुड़ी होती हैं। यानि कि वे इंटरलिंक्ड होती हैं।
बच्चों की कुण्डली देखने से पहले माता-
पिता की कुण्डली भी देखनी चाहिए। उदाहरण के
तौर पर राहुल गांधी की तुलना में सैकड़ों लोग ऐसे
हो सकते हैं जिनकी कुण्डली राहुल
गांधी की कुण्डली से सशक्त हो सकती है। लेकिन
राहुल गांधी की कुण्डली के साथ उनके परिवार से
जुड़ी डाइनेस्टी का भी ध्यान रखना होगा। इग्लैंड में
जॉर्ज पंचम और एक लोहार के घर एक ही समय में बेटे
पैदा हुए। उनका विवाह भी एक ही समय पर हुआ।
उनकी कुण्डलियां एक जैसी ही थीं। लेकिन जॉर्ज पंचम
का बेटा इंग्लैंड के सम्राट की गद्दी का वारिश
बना था। दोनों की कुण्डलियों का विश्लेषण करते हुए
ये ध्यान रखना होगा कि जॉर्ज पंचम
का बेटा शाही परिवार का बेटा था।
मेरा अनुभव है कि ज्योतिष को अंधविश्वासों से
जोड़कर दुख दूर करने के उपायों के नाम पर
लोगों को ठगा और लूटा जाता है। इससे ज्योतिष
जैसी पवित्र विद्या के प्रति लोगों का विश्वास
समाप्त होता जा रहा है। सच्चा, ईमानदार और
विद्वान ज्योतिषी लोगों के जीवन
की परेशानियों को दूर करने के लिए मार्गदर्शक
का काम करता है।
ज्योतिष नकारात्मक हो गया है, सकारात्मक नहीं रह
गया है। ज्योतिषियों के पास तीन-चार हथियार हैं।
जिसमें वे आम जनता को उल्लू बनाकर उन्हें लूटते हैं।
जिनमें शनि की साढ़े साती, पूर्ण कालसर्प योग, अर्ध
कालसर्प योग जैसे तरीके शामिल हैं। ये सब निराधार
हैं। पराशर से लेकर वराहमिहिर या अन्य किसी बड़े
प्रमाणिक ज्योतिष विद्वान के किसी ग्रंथ में
इनका उल्लेख नहीं मिलता। इसलिए ये सब मुझे
निराधार लगते हैं। और आम जनता को लूटने के लिए
ज्योतिषियों के हथकंडे ही लगते हैं। ज्योतिषी भाग्य
नहीं बदल सकता, वह केवल मार्गदर्शन कर सकता है।
यदि कोई व्यक्ति विद्वान ज्योतिषी के मार्गदर्शन में
अपने जीवन को आगे बढ़ाता है तो उसके जीवन में होने
वाली तरक्की से उसे लगता है कि ज्योतिषी उसके
भाग्य को बदल दिया है। जबकि याद रखना चाहिए
कि ज्योतिषी ब्रह्मा नहीं है।