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राहू सर्प का मस्तक है तो केतु सर्प की पूंछ.

इनकी युति को चांडाल ( राहू-केतु ) योग कहा जाता है.
कैसे होता है चाण्डाल योग
जब कुण्डली में राहु या केतु जिस गृह के साथ बैठ जाते
है तो उसकी युति को ही चाण्डाल योग
कहा जाता है ये मुख्य रूप से सात प्रकार का होता है
1- रवि-चांडाल योग -सूर्य के साथ राहू या केतु हो तो इसे रवि चांडाल
योग कहते है. इस युति को सूर्य ग्रहण योग
भी कहा जाता है. इस योग में जन्म लेनेवाला अत्याधिक
गुस्सेवाला और जिद्दी होता है. उसे शारीरिक
कष्ठ भी भुगतना पड़ता है. पिता के साथ मतभेद
रहता है और संबंध अच्छे नहीं होते.
पिता की तबियत

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आज कल वास्तुशास्त्र

आज कल वास्तुशास्त्र
हर व्यक्ति अपने घर को खूबसूरत रखना चाहता है।
करीने से सजा हुआ घर के व्यक्तित्व में चार चांद
लगा देता है, सुंदर घर सभ्य और सुशिक्षित होने का सबूत है।
आज के युवा ड्राइंग रूम और लिविंग रूम को सजाने में
काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं। घर
को सजाना कोई फैशन नहीं है, बल्कि एक जरूरत है।
आज कल वास्तुशास्त्र का प्रचलन खूब है और तथाकथित
वास्तुशास्त्रियों की खूब चांदी है वह
लोगों को बेवकूफ बना कर खूब जोरों से चांदी कूट रहे है
यहाँ पर वास्तुदोष का निवारण के उपाय दिये जा रहें है इसे अपना कर

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कालभैरव मंदिर उज्जैन

कालभैरव मंदिर उज्जैन(मदिरा पान वाले बाबा काल
भैरव)
कालभैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल
पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक
मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में माँस, मदिरा, बलि,
मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में
यहाँ सिर्फ तांत्रिको को ही आने की अनुमति थी। वे
ही यहाँ तांत्रिक क्रियाएँ करते थे और कुछ विशेष
अवसरों पर काल भैरव को मदिरा का भोग
भी चढ़ाया जाता था। कालान्तर में ये मंदिर आम
लोगों के लिए खोल दिया गया, लेकिन बाबा ने भोग
स्वीकारना यूँ ही जारी रखा।अब यहाँ जितने

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