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काशी में है मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर, करती हैं हर मनोकामना पूरी

मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है. दुर्गा की पूजा के क्रम में ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन-पूजन बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है.

सुबह से ही लग जाती है भीड़ 
काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते हैं. श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं. 

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जानिए, रविवार को क्यों नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी की पत्ती

जानिए, रविवार को क्यों नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी की पत्ती

जानिए, रविवार को क्यों नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी की पत्ती

विष्णु पुराण में तुलसी के महत्व की व्याख्या की गई है. यही वजह है कि लगभग हर भारतीय घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाया जाता है. लेकिन, क्या आप ये जानते हैं कि तुलसी की पूजा में कौन से नियमों का पालन जरूरी है और रविवार को तुलसी का पत्ता क्यों नहीं तोड़ना चाहिए...

विष्णु पुराण के अनुसार रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.

मान्यता के अनुसार दरअसल, तुलसी मां एकादशी व्रत करती हैं और इसलिए उन्हें तोड़कर परेशान नहीं किया जाता. एकादशी के दिन पत्ते तोड़ने से घर में गरीबी का वास होता है.

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कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा, यहां देखें- क्या है शुभ मुहूर्त

हर साल दिवाली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का पर्व मानाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन सभी देवी और देवता काशी आते हैं. इसलिए इस पर्व की सबसे ज्यादा महत्वता वहीं देखी जाती है. इस दिन दीपक दान करने से ईश्वर लंबी आयु का वरदान देते हैं.

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