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राहु चन्द्र हमेशा चिन्ता का योग बनाते हैं

बीमारी या काम काज की चिन्ता लगी रहती
है,महिलाओं को अपनी सास या ससुराल खानदान के
साथ बन्धन की चिन्ता लगी रहती है।
राहु और चन्द्रमा का एक साथ रहना हमेशा से देखा
गया है, कुन्डली में एक भाव के अन्दर दूरी चाहे २९ अंश
तक क्यों न हो,वह फ़ल अपना जरूर देता है।
इसलिये राहु जब भी गोचर से या जन्म कुन्डली की
दशा से एक साथ होंगे तो जातक का चिन्ता का
समय जरूर सामने होगा

 

 

 

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नित्य पूजा कैसे करें.......,.

नित्य पूजा पाठ के नियम ------------------- कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि घर में नियमित पूजा-पाठ किस तरह की जाये और किस भगवान की पूजा की जाये शुद्ध आसन पर बैठकर प्रातः और संध्या को पूजा अर्चना करने को नित्य नियम कहते हैं पाठ का क्रम इस तरह से होना चाहिए :- 1. सर्वप्रथम गणेश जी की उपासना:- विघ्नों को दूर करने के लिए 2 . सूर्य भगवान की उपासना:- स्वास्थ्य के लिए 3 . माँ भगवती की उपासना :- शक्ति के लिए 4 . भगवान शंकर की उपासना:- भक्ति के लिए और सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट और विपदाओं से निवारण के लिये 5 .

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दक्षिणकालीस्तोत्रम्

नीलोत्पलदलप्रख्यां शत्रुसङ्घविदारिणीम् ।
नरमुण्डन्तथा खड्गङ्कमलं वरदन्तथा ॥२॥
विभ्राणं रक्तवदनां दंष्ट्राली घोररूपिणीम् ।
अट्टाट्टहासनिरता सर्वदा च दिगम्बराम् ॥३॥
शवासनस्थितां देवीं मुण्डमालाविभूषिताम् ।
इति ध्यात्वा महादेवी ततस्तु हृदयं पठेत् ॥४॥
काली दक्षिणकाली च कृष्णरूपा परात्मिका ।
मुण्डमाली विशालाक्षी सृष्टिसंहासकारिका ॥५॥
स्थितिरूपा महामाया योगनिरद्रा भवात्मिका ।
भगसर्पि: पानरता भगोद्योता भगाङ्गजा ॥६॥
आद्या सदा नवा घोरा महातेजा: करालिका ।
प्रेतवाहा सिद्धिलक्ष्मीरनिरुद्धा सरस्वती ॥७॥

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