Image: 

राहु -केतु निर्मित शुभाशुभ योग

राहु -केतु निर्मित शुभाशुभ योग

राहु -केतु निर्मित शुभाशुभ योग

उसका जीवन सुख शांति के साथ व्यतीत होता हैं |
.
२..मोक्ष योग ...जन्मांग में वृहस्पति और केतु का
युति दृष्टि सम्बन्ध हो तो मोक्ष योग होता हैं |
यदि केतु गुरु की राशी और वृहस्पति उच्च राशी कर्क
में हो तो मोक्ष की सम्भावना बढ़ जाती हैं |
.
३..परिभाषा योग ...तीसरे छठे ,दसवे या ग्यारहवे
भाव में राहु शुभ होकर स्थित हो तो परिभाषा
योग का निर्माण करता हैं | ऐसा राहु जातक को
कई प्रकार की परेशानियों से बचा लेता हैं | इनमे
स्थित राहु दुसरे ग्रहों के अशुभ प्रभाव को भी कम
करता हैं |
.

Image: 

व्यापार बन्धन

व्यापार बन्धन खोलने के कुछ सरल प्रयोग

व्यापार बन्धन

व्यापार बन्धन खोलने के कुछ सरल प्रयोग
(नवरात्रि विशेष)
कभी-कभी देखने में आता है कि खूब
चलती हुईदूकान भी एकदम से ठप्प हो
जाती है ।जहाँ पर ग्राहकों की
भीड़ उमड़ती थी, वहाँ
सन्नाटापसरने लगता है । यदि किसी चलती
हुई दुकान को कोई तांत्रिकबाँध दे, तोऐसी स्थिति उत्पन्न
होती है, अतः इससे बचने के लिए निम्नलिखितप्रयोग
करने चाहिए -
१॰ दुकान में लोबान की धूप लगानी चाहिए ।
२॰ शनिवार के दिन दुकान के मुख्य द्वार पर बेदाग नींबू
एवं सात हरी मिर्चें लटकानी चाहिए ।
३॰ नागदमन के पौधे की जड़ लाकर इसे दुकान केबाहर

Image: 

दिग्बली ग्रह

दिग्बली ग्रह

दिग्बली ग्रह

सूर्य से लेकर शनि तक सातो ग्रह कुंडली के केंद्र स्थानों में दिग्बल प्राप्त करते है राहु केतु को दिग्बल की प्राप्ति नही होती।दिग्बली ग्रह को दिशा बल प्राप्त ग्रह भी कहतेहै।दिग्बली ग्रह राशिस्थ बल से अतिरिक्त बल प्राप्त करता है।

प्रथम भाव(लग्न)में गुरु और बुध दिग्बल प्राप्त करते है,प्रथम भाव(लग्न)कुंडलीका प्रातः कालीन भाव होता है गुरु बुध प्रातःकाल का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह है इस कारण प्रथम भाव(लग्न)में गुरु बुध को दिग्बल की प्राप्ति होती है।

Pages

Subscribe to शुक्ला वैदिक ज्योतिष संस्थान RSS