सूर्य से लेकर शनि तक सातो ग्रह कुंडली के केंद्र स्थानों में दिग्बल प्राप्त करते है राहु केतु को दिग्बल की प्राप्ति नही होती।दिग्बली ग्रह को दिशा बल प्राप्त ग्रह भी कहतेहै।दिग्बली ग्रह राशिस्थ बल से अतिरिक्त बल प्राप्त करता है।
प्रथम भाव(लग्न)में गुरु और बुध दिग्बल प्राप्त करते है,प्रथम भाव(लग्न)कुंडलीका प्रातः कालीन भाव होता है गुरु बुध प्रातःकाल का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह है इस कारण प्रथम भाव(लग्न)में गुरु बुध को दिग्बल की प्राप्ति होती है।