संतान बाधा

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संतान सुख हीनता के योग
लग्न एवम चंद्रमा से पंचम भाव में निर्बल पाप ग्रह अस्त एवं शत्रु नीच राशि नवांश में स्थित हों एवं पंचम भाव पाप कर्तरी योग से पीड़ित हो एवं पंचमेश और गुरु अस्त एवं शत्रु नीच राशि नवांश में लग्न से 6 ए वं 8 12 वें भाव में स्थित हों एवं गुरु से पंचम में पाप ग्रह हो एवं षष्टेश अष्टमेश या द्वादशेश का सम्बन्ध पंचम भाव या उसके स्वामी से होता हो एवं लग्न का स्वामी जन्म कुंडली में 6,8, 12 वें भाव में अस्त शत्रु ,नीच राशि नवांश में स्थित हों तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है ।जितने अधिक कुयोग होंगे उतनी ही अधिक कठिनाई संतान प्राप्ति में होगी ।
पंचम भाव में अल्पसुत राशि ; वृष एवं सिंह कन्या एवं वृश्चिक हो तथा उपरोक्त योगों में से कोई योग भी घटित होता हो तो कठिनता से संतान होती है ।
गुरु के अष्टक वर्ग में गुरु से पंचम स्थान शुभ बिंदु से रहित हो तो संतानहीनता होती है ।
सप्तमेश निर्बल हो कर पंचम भाव में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है ।
गुरु एंव लग्नेश एवं पंचमेश चारों ही बलहीन हों तो अल्पत्यता होती है ।
गुरु एवं लग्न व चन्द्र से पांचवें स्थान पर पाप ग्रह हों तो अल्पत्यता होती है ।
पुत्रेश पाप ग्रहों के मध्य हो तथा पुत्र स्थान पर पाप ग्रह हो एवं शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो अल्पत्यता होती है ।

पुत्र या पुत्री योग
सूर्य एवं मंगल एवं गुरु पुरुष ग्रह हैं । शुक्र एवं चन्द्र स्त्री ग्रह हैं । बुध और शनि नपुंसक ग्रह हैं द्य संतान योग कारक पुरुष ग्रह होने पर पुत्र तथा स्त्री ग्रह होने पर पुत्री का सुख मिलता है द्य शनि और बुध योग कारक हो कर विषम राशि में हों तो पुत्र व सम राशि में हो तो पुत्री प्रदान करते हैं । सप्तमांश ग्रह हो तो पुत्र तथा स्त्री ग्रह हो तो कन्या सन्तति का सुख मिलता है । गुरु के अष्टक वर्ग में गुरु से पांचवें स्थान पर पुरुष ग्रह बिंदु दायक हों तो पुत्र स्त्री ग्रह बिंदु दायक हो तो पुत्री का सुख प्राप्त होता है। पुरुष और स्त्री ग्रह दोनों ही योग कारक हों तो पुत्र व पुत्री दोनों का ही सुख प्राप्त होता है द्य पंचम भाव तथा पंचमेश पुरुष ग्रह के वर्गों में हो तो पुत्र व स्त्री ग्रह के वर्गों में हो तो कन्या सन्तति की प्रधानता रहती है ।
पंचमेश के भुक्त नवांशों में जितने पुरुष ग्रह के नवांश हों उतने पुत्र और जितने स्त्री ग्रह के नवांश हों उतनी पुत्रियों का योग होता है ।जितने नवांशों के स्वामी कुंडली में अस्त एवं नीच शत्रु राशि में पाप युक्त या दृष्ट होंगे उतने पुत्र या पुत्रियों की हानि होगी ।