जन्म कुण्डली हमारे जन्म समय का नक्शा है,जन्म के समय किस राशि में कौन सा ग्रह कितने अंश में है, इसमें अंकित किया जाता है,हम ज्योतिष शास्त्र के द्वारा किसी भी व्यक्ति के जीवन में घटने वाली किसी भी घटना,समय,घटनास्थल की जानकारी पहले से कर सकते हैं,ज्योतिष के अनुसार अशुभ प्रभाव को रत्न उपचार,जाप एवं अनुष्ठान के द्वारा कम किया जा सकता है।
सूर्य सिंह राशि का स्वामी है ,यह दशम स्थान में शुभ फलदायी ,आत्म कारक तथा पितृ कारक होता है |इसकी अशुभता से जातक आलसी ,भयालु ,पितृ वैरी होता है |नौकरी व् व्यवसाय में बार बार विघ्न आते हैं |व्यापारिक कार्यों में असफलता मिलती है |जातक राजकीय प्रकोप का भाजन बनता है |कोर्ट कचहरी , विवाद ,पितृ दोष ,ह्रदय दोष ,उदार विकार ,ऋण [कर्ज ],झूठे अभियोग ,प्रतिष्ठा हानि ,अल्सर ,पित्त प्रकोप ,आदि होता है |आत्मविश्वास कम हो जाता है या कम रहता है | मन पाप कर्मो में अधिक प्रवृत्त होता है |गृहस्थ जीवन कलहपूर्ण व् संतानसुख से हीन बनाता है |पिता से सम्बन्ध अच्छे नहीं होते अथवा दूरी बनती है ,इत्यादि |
सूर्य पिता, आत्मा समाज में मान, सम्मान, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का कारक होता है | किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है। कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्ट होना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है |
सूर्य ग्रह के अरिष्ट प्रभावी होने पर उसकी शान्ति हेतु प्रतिदिन श्री पद्मप्रभु चालीसा ,आदित्य ह्रदय स्तोत्र ,सूर्य को जल दान ,गायत्री उपासना/जप ,मुद्गल पुराणोक्त गणेश द्वादसनाम स्तोत्र ,याज्ञवल्क मुनि कृत सूर्य कवच ,सूर्य सूक्त ,सूर्य मंत्र का जप ,सूर्य यन्त्र धारण ,किसी योग्य के मार्गदर्शन में दान आदि ,श्री नवग्रह शान्ति चालीसा ,एक वर्ष में कम से कम एक बार नवग्रह शान्ति विधान करना चाहिए |
सूर्य ग्रह के दोष दूर करने और इसे शुभ बनाने के लिए जपाकुसुम के फूलों की माला बनाकर हर रविवार को शिवजी को पहनाएं। इस उपाय से वर्चस्व एवं आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। किसी वृद्ध व्यक्ति को लाल फल भेंट करना चाहिए। प्रत्येक रविवार सुबह घोड़े को भीगे चने की दाल खिलानी चाहिए।
सुर्य (Sun): सूर्य के अशुभ होने पर या कुण्डली में सुर्य के दूषित प्रभाव होने पर पेट, आंख, हृदय का रोग होवे, सरकारी बाधा आवे । ऐसे में तांबा, गेंहू एवं गुड का दान करें, आग को दूध से बुझावें, प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें , हरिवंश पुराण का पाठ करें ,भगवान राम की पूजा करें | ताबें का बराबर दो तुकडा काटकर एक को पानी में बहा दें एक को जीवन भर साथ रखें ।