सात वचनों से बंधी है विवाह की डोर
*शास्त्रानुसार ''यावत्कन्या ना वामांगी तावत्कन्या कुमारिका" अर्थात् जब तक कन्या वर के वाम भाग यानी बाएं भाग की अधिकारिणी नहीं होती.तब तक वह कुमारी ही है. अग्नि की परीक्रमा तथा सप्तपदी के पश्चात वर जब कन्या को अपनी बायीं ओर आसन ग्रहण करने को कहता है, तो कन्या वर से सात वचन लेती है, जो इस प्रकार हैं :*