जन्म अष्टमी

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26 अगस्त को  रात्रि 12 बजे वृषभ लग्न रोहणी नक्षत्र एवं अष्टमी तिथि को जन्म अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा.। इस दिन का इंतजार सभी को बेसब्री से होता है, क्योंकि इस पर्व में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण विष्णु जी के आठवें अवतार हैं। द्वापर युग में विष्णु भगवान ने धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीकृष्ण का अवतार लिया था. जन्माष्टमी का त्योहार बिना साज-सजावट के अधूरा है।. इस दिन कान्हा का पंडाल सजाया जाता है और घर को रोशनी से जगमगाया जाता है।
        फूलों से करें सजावट
पूजा घर को हमेशा फूलों से सजाना चाहिए. रंग-बिरंगे फूलों को धागे में डालकर पूजा की दीवारों पर चिपकाना चाहिए. मंदिर के लिए गेंदा, चमेली और गुलाब के फूल शुभ माने जाते हैं. कान्हा की मूर्ति को चारों-ओर फूल से सजाएं. आप एक बड़े बर्तन को ले सकते हैं और उसके ऊपर टेप से लगा दें ताकि टेप में फूल को डंडी के साथ घूसा सकें. ऐसे आप पूरी टोकरी फूलों से भर दें और बीच में कान्हा की मूर्ति को बिठा दें.।
                    पंडाल में माखन की मटकी को रखना न भूलें
माखन की मटकी के लिए सबसे पहले तो मटकी को रंगों से सजाएं. उसपर थोड़ी कला दिखाएं यानी सफेद और लाल रंग के पेंट कलर से फूल बनाएं और नई तरह की डिजाइन बनाएं. इसपर आप मोर के पंख के भी डिजाइन बना सकते हैं. अगर आपकी मटकी सिर्फ सजावटी है तो इसमें रूई भर सकते हैं।
 

  जै जै श्री राधे