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नए घर में प्रवेश से पहले

उससे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिए
जरूरी है कि सही मुहूर्त में गृह प्रवेश
किया जाए।
नए घर में प्रवेश से पहले वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य
अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन
की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है
तभी घर शुभ प्रभाव देता है। जिससे जीवन
में खुशी व सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए
कुलदेव की पूजा व वृद्धों का सम्मान करके व
ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए।

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शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय

प्रतिकूल समय को अनुकूल कैसे करें..
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१. खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च
चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं.
२. भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च
कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.
३. भोजन के उपरांत लोंग खाये.
४. शनिवार व मंगलवार को क्रोध न करें.
५. भोजन करते समय मौन रहें.
६. प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर
तेल मसलें.
७. मॉस, मछली, मद्य तथा
नशीली चीजों का सेवन बिलकुल
न करें.
८. घर की महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नहे
बरते. क्योकि जिस घर में गृहलक्ष्मी रोती

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जानिए आपके हाथ की हस्तरेखा

जानिए आपके हाथ की हस्तरेखा
में ‘शनि रेखा’ का प्रभाव-दुष्प्रभाव—-
आकाश में भम्रमण कर रहे शनि ग्रह की रेखा
भी विशिष्ट है। यह बल्यधारी ग्रह
अपने नीलाभवर्ण और चतुर्दिक मुद्रिका-कार आभायुक्त
बलय के कारण बहुत ही शोभन प्रतीत
होता है। यह ग्रह अपनी अशुभ स्थिति में मनुष्य
को ढाई वर्ष, साढे सात वर्ष, अथवा उन्नीस वर्षों तक
अत्यधिक पीडा देता है परंतु शुभ स्थिति में यह ग्रह
उतना ही वैभवदाता, रक्षाकारी और
संपन्नतावर्धक रूप धारण कर लेता हैं, जन्मकुंडली
की भांति मानव हथेलियों पर भी शनि ग्रह
की स्थिति होती है। शनि-पर्वत

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