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यदि शुक्र अस्त ,नीच शत्रु राशि नवांश का

से द्वेष ,व्यवसाय में बाधा ,पशु धन की हानि ,
सिनेमा –अश्लील साहित्य अथवा काम वासना की
ओर ध्यान लगे रहने के कुप्रभाव से शिक्षा प्राप्ति में
बाधा होती है | जिस भाव का स्वामी शुक्र होता
है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में
असफलता व हानि होती है |
गोचर में शुक्र का प्रभाव —–
जन्म या नाम राशि से 1,2,3,4,5,8,9,11,12 वें स्थान
पर शुक्र शुभ फल देता है |शेष स्थानों पर शुक्र का
भ्रमण अशुभ कारक होता है |
जन्मकालीन चन्द्र से प्रथम स्थान पर शुक्र का गोचर
सुख व धन का लाभ,शिक्षा में सफलता

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यात्रा तो सभी करते हैं,

यात्रा तो सभी करते हैं, कभी
सफलता तो कभी असफलता हाथ
लगती है। यात्रा कभी इतनी सुखद
होती है कि दौड़-धूप भरी जिंदगी
की सभी थकान दूर हो जाती है।
कभी यात्रियों को दुर्घटना के
कारण जान भी गंवानी पड़ जाती है।
आखिर क्या है इसका रहस्य? शायद
सही मुहूर्त का चुनाव। समय का
अभाव होने के कारण लोग प्रायः
मुहूर्त के महत्व को भूल जाते हैं। मुहूर्त
की तब याद आती है जब यात्रा
निरर्थक, निष्फल एवं नुकसान दायक
साबित होती है। तब व्यक्ति इस बात
को सोचने को मजबूर हो जाता है
कि काश मैंने अपनी यात्रा शुभ मुहूर्त

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त्रीभि अस्तै भवे ज़डवत

ज्योतिष शास्त्र में अस्त ग्रह के परिणामों की विशद व्याख्या मिलती है। अस्तग्रहों के बारे में यह कहा जाता है : "त्रीभि अस्तै भवे ज़डवत", अर्थात् किसी जन्मपत्रिका में तीन ग्रहों के अस्त हो जाने पर व्यक्ति ज़ड पदार्थ के समान हो जाता है। ज़ड से तात्पर्य यहां व्यक्ति की निष्क्रियता और आलसीपन से है अर्थात् ऎसा व्यक्ति स्थिर बना रहना चाहता है, उसके शरीर, मन और वचन सभी में शिथिलता आ जाती है। 

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