Image: 

भूलकर भी इन दिनों में न करें ये काम, वरना जाने पड़ेगा नर्क

हिंदू धर्म में श्राद्ध का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका श्राद्द करना जरुरी माना जाता है। तभी हमारे पूर्वज को मुक्ति, मोक्ष मिलती है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। इस बार 10 सितंबर से पितृपक्ष के श्राद्ध शुरु हो रहे है। जो कि 25सितंबर को देव दर्श अमावस्या के साथ समाप्त होगे।

Image: 

करें ये दस काम, हो सकती है धन के साथ संतान हीनता

हिंदू धर्म के अनुसार अश्विन माह में पितृ पक्ष का समय चल रहा है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। इस वर्ष ये 5 सितंबर से 20 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान हमारे पितृ यमलोक से घरती पर आते हैं और हमारे आस-पास विचरण करते हैं। इस दौरान हमें उनको खुश करने पर ध्यान देना होता है। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। ये मान्यता है कि ब्राह्मण को भोजन करवाने का अर्थ पितरों को भोजन करवाने से होता है। हिंदू धर्म में ये भी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के पितृ रुष्ट हो जाए तो उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पितरों की अशांति के कई कारण हो सकते हैं। उनकी अशांति से व्यक्ति को धन की हानि और सं

Image: 

श्राद्ध पक्ष में क्या ना करें

ध्यान रहे कि ज्यादा सुबह पितरों को भोजन अर्पण ना करें, सुबह 8 बजे के बाद ही तर्पण की प्रक्रिया करें। शाम को खिलाया हुआ भोजन पितरों के पास नहीं जाता है वो राक्षसों को जाता है।
– श्राद्ध करते समय पवित्रता का खास ख्याल रखें।
– जो लोग श्राद्ध करते हैं, उन्हें पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
– पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, खीरा, लौकी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

Pages

Subscribe to शुक्ला वैदिक ज्योतिष संस्थान RSS