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विवाह-विलंब-योग........

में बाधा आयेगी ।
3. शनि लग्न में और चंद्र सप्तम में हो तो भी विवाह में
पर्याप्त विलंब होगा ।
4. मकर, लग्न में शनि और चंद्र स्वग्रही होकर
भी विवाह में विलम्ब करवाते हैं ।
5. यदि, शनि का प्रभाव - सप्तम, सप्तमेश और शुक्र पर एकसाथ
पड़ रहा हो तो भी विवाह में विलंब होगा ।
6. शुक्र और चंद्र का 'षडाष्टक' योग भी विवाह विलम्ब
से करवाता है ।
7. सूर्य और चंद्र के बीच में अगर कर्क अथवा सिंह
राशि का शुक्र आ जाये तो भी विवाह में विलंब हो जाता है

8. शुक्र अगर सूर्य से 43 अंशों से अधिक दूरी पर

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तंत्र में चिकित्सा के सबंध में विविध प्रयोग है

जिन भागो तक औषध नहीं पहोच सकता. इस लिए इस
प्रकार की चिकित्सा उत्तम है. अगर कोई चिकित्सक
अपने औषधो को मांत्रिक उर्जा से परिपूर्ण करता है
और वह सामान्य औषद देता ही तब उन रोगी को जल्द
आराम मिलता है जिन्होंने मंत्र उर्जा से परिपूर्ण
चिकित्सा ली है.
प्रस्तुत मंत्र अपने आप में स्वयं सिद्ध है. जब
भी किसी भी प्रकार का कोई भी औषध लेना हो तब
निचे दिए गए मंत्र को १०८ बार औषधि को हाथ में रख
कर जाप कर ले. ये जाप मन में भी किया जा सकता है
तथा इसमें कोई माला, यन्त्र, दिशा वस्त्र
आदिकी ज़रूरत नहीं है. इस प्रकार ये प्रयोग बहोत

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ज्योतिष में

ज्योतिष में 12 भावों का खेल

ज्योतिष में

कुंडली के अनुसार 12 भावों के स्वामी ग्रहों में से अधिकाधिक 7 या 8 ग्रहों की महादशा मनुष्य के जीवन में आती है। विभिन्न भावेशों की महादशा भिन्न-भिन्न फलों को देने वाली होती है।

1. लग्नेश यानि लग्न के स्वामी ग्रह की महादशा स्वास्थ्य लाभ देती है, धन और मान-प्रतिष्ठा प्राप्ति के अवसर देती है।

2. धनेश यानि दूसरे भाव के स्वामी की महादशा में धन लाभ तो होता है मगर अष्टम भाव से सप्तम होने के कारण यह दशा स्वास्थ्य कष्ट देती है।

3. सहज भाव यानि तृतीय भाव के स्वामी की दशा प्राय अच्छी नहीं मानी जाती। भाइयों के लिए परेशानी और उनसे रिश्तें बिगड़ते हैं।

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