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में बाधा आयेगी ।
3. शनि लग्न में और चंद्र सप्तम में हो तो भी विवाह में
पर्याप्त विलंब होगा ।
4. मकर, लग्न में शनि और चंद्र स्वग्रही होकर
भी विवाह में विलम्ब करवाते हैं ।
5. यदि, शनि का प्रभाव - सप्तम, सप्तमेश और शुक्र पर एकसाथ
पड़ रहा हो तो भी विवाह में विलंब होगा ।
6. शुक्र और चंद्र का 'षडाष्टक' योग भी विवाह विलम्ब
से करवाता है ।
7. सूर्य और चंद्र के बीच में अगर कर्क अथवा सिंह
राशि का शुक्र आ जाये तो भी विवाह में विलंब हो जाता है
।
8. शुक्र अगर सूर्य से 43 अंशों से अधिक दूरी पर
हो तो भी विवाह में विलंब होता है ।
9. लग्न और शुक्र, बंध्या राशिगत हो- जैसे मिथुन, कन्या, सिंह
और धनु में - तब भी विवाह में विलंब होता है ।
10. मंगल और शनि - शुक्र और चंद्र, से सप्तम
हो तो भी विवाह में विलंब होगा ।
अगले भाग में जारी.........
नोट :- गुरु अगर स्वयं विलंबकारी योग
ना बना रहा हो और उसकी दृष्टी विवाह
कारक ग्रहों अथवा भावों पर पड़ रही हो तो 'विवाह-
विलंब' का योग भंग हो जाता है तथा विवाह समय पर हो जाता है ।