तंत्र में चिकित्सा के सबंध में विविध प्रयोग है

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जिन भागो तक औषध नहीं पहोच सकता. इस लिए इस
प्रकार की चिकित्सा उत्तम है. अगर कोई चिकित्सक
अपने औषधो को मांत्रिक उर्जा से परिपूर्ण करता है
और वह सामान्य औषद देता ही तब उन रोगी को जल्द
आराम मिलता है जिन्होंने मंत्र उर्जा से परिपूर्ण
चिकित्सा ली है.
प्रस्तुत मंत्र अपने आप में स्वयं सिद्ध है. जब
भी किसी भी प्रकार का कोई भी औषध लेना हो तब
निचे दिए गए मंत्र को १०८ बार औषधि को हाथ में रख
कर जाप कर ले. ये जाप मन में भी किया जा सकता है
तथा इसमें कोई माला, यन्त्र, दिशा वस्त्र
आदिकी ज़रूरत नहीं है. इस प्रकार ये प्रयोग बहोत
ही सहज है. इस प्रयोग को अगर रोगी खुद न कर सके
तो कोई भी यह प्रयोग कर औषधि को रोगी को दे
सकता है, इसके अलावा चिकित्सक भी यह प्रयोग
सम्प्पन कर अपने रोगियो को औषधि दे सकता है.
निश्चित रूप से औषध की कार्यक्षमता को बढ़ा कर इस
प्रकार का मन्त्रउर्जा से पूरित औषध जल्द ही आराम
देता है तथा उन अद्रश्य
अवयवों की क्षतियो की भी पूर्ति करता है
जो की सामन्य औषध नहीं कर सकता है. इस प्रयोग
को हर बार औषधि लेते समय करना चाहिए तथा मन्त्र
जाप के बाद औषधि लेनी चाहिए.
मन्त्र : ॐ ह्रीं धन्वंतरि आरोग्य सिद्धिं ह्रीं नमः