Image:
नए साल का शुभारंभ हो गया है। हर कोई अपनी तरीके से नए साल का आगमन कर रहा है। पुराने साल की कुछ अच्छी बुरी यादें अपने साथ नए साल में ले जाते है। साथ ही ये कोशिश करते है कि जो पुराने साल में हुआ है वो आने वाले सालों में न हो। इसके साथ ही हर व्यक्ति के दिमाग में ये बात आने लगती है कि उसका आने वाला साल कैसा होगा। किस क्षेत्र में तरक्की और उनके किस्तमंत का सितारा कितना बुलंद होगा। या हमारा स्वास्थ्य कैसा रहेगा। यह सभी बातें आपके मन में आने लगती है। }
1. मेष राशि 6 फरवरी से 9 जून तक लिवर संबंधित समस्याओं से अपना बचाव करना चाहिए। पीने के पानी का विषेश ध्यान रखना चाहिए। पिता के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहेगी। पिता को हृदय संबधी कष्ट हो सकता है। 18 अगस्त के बाद माता के स्वास्थ्य में उदर संबंधी कष्ट हो सकता है। क्रोध करने से स्वास्थ्य खराब होगा और शांति बनाए रखने से स्वास्थ्य सम रहेगा। अगर आप अच्छा स्वास्थ्य चाहते हैं तो उसके लिए आपको विषेश प्रयास करना पड़ेगा। वर्ष के उत्तरार्ध में आपको पेट संबंधी समस्या बार-बार हो सकती है।
2. वृष राशि साल की शुरूआत में यानि 26 जनवरी को शनि की दृष्टि से मुक्ति पाकर आपका स्वास्थ्य चैन की सांस लेगा। लेकिन 21 जून से 25 अगस्त तक शनि वर्की गति से वृश्चिक राशि में गोचर करेगा। इस समय स्वास्थ्य का विषेश ध्यान रखना होगा। बृहस्पति की दृष्टि 13 सितम्बर तक शनि की पीड़ा से आराम दिलाती रहेगी। पिता के स्वास्थ्य के लिए समय ठीक नहीं रहेगा। वर्ष प्रवेश के समय आपके स्वास्थ्य और रोग का मालिक शुक्रकुयोग कहलाता है। लेकिन सौभाग्य से मंगल चलित चक्र में आगे जा रहा है। दूसरी बात ये है कि केतु शुक्र की बलि ले लेता है। लेकिन जन्म के समय केतु का बल 11% है और 7.51 राशिमाया लेकर शुक्र के पास 41% का बल है। यानि केतु शुक्र की बलि नहीं ले पायेगा। लब्बो-लुआब ये है कि छोटी-मोटी एलर्जी और स्कीन की समस्या के साथ बड़े-बड़े स्वास्थ्य संकट टल जाएंगे।
3. मिथुन राशि स्वास्थ्य की स्थिति ठीक नहीं रहेगी। आपको उदर संबंधी विकार यानि पेट की तकलीफें हो सकती है। आपको बार-बार नजर लग सकती हैं। हालांकि इन चीजों से आपको कोई परमानेंट डैमिज नहीं होगा। क्योंकि वर्ष प्रवेश के समय लग्नेश विकल होकर लगन को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। जेमिनी के मत के अनुसार, हालांकि उसकी राशिमियां शून्य है, लेकिन वो 68 प्रतिशत बलि है। लिहाजा थोड़ी-सी केयर करने से सेहत संबंधी समस्या हल हो जाएंगी। आपको रक्तचाप से भी सावधान रहना चाहिए और विटामिन व मिनरल्स की कमी होते ही बार-बार लूज मोंशन की समस्या हो सकती है। सिर-दर्द और पीठ की तकलीफों के अलावा दांत से संबंधित परेशानियां भी हो सकती है। पीठ की रेग्युलर एक्सासाइज करने से तकलीफ कम होगी।
4. कर्क राशि मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य ढ़ीले रहेंगे। अपयश के कारण हुए ग्लानि-बोध से चित्त लगातार खिन्न रहेगा। कफ और पित्त जनित रोग के शिकार होंगे। शारीरिक दुर्बलता भी रहेंगी। यात्रा के दौरान अस्वस्था होने की संभावना रहेगी। जिन लोगो को पहले से शुगर या बी-पी की तकलीफ है उन्हें इस बीच विषेश सावधानी बरतने की आवश्यकता है। 6 अप्रैल को रोग और शत्रु स्थान शनि की वक्री होने से भयंकर पीड़ा की सूचना मिल रही है। 25 अगस्त के बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। दूर स्थान या विषेश यात्रा इस समय स्थागित रखने में ही कल्याण है। चित्त चंचल रहने से स्वभाव अस्थिर रहेगा और आचरण की अशुद्धता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए धातक सिद्ध होगी।
5. सिंह राशि वर्ष प्रवेश के समय चन्द्रमा छठें घर में है। चन्द्रमा चंचल है। चन्द्रमा शीतकारक भी है। बार-बार सर्दी जुकाम होगा। चन्द्रमा मन का भी कारक है श्चन्द्रमामनसोजातोश् तो रोग स्थान पर चन्द्रमा की स्थिति मन में पीड़ा संत्रास और कुछ दुविधाएं भी दे सकती है। लेकिन कुछ भी स्थायी नहीं होगा। क्षणें-रूष्टा, क्षणें-तुष्टा, रूष्टा-तुष्टा क्षणें-क्षणें यही चन्द्रमा का स्वभाव है। क्षण में ठीक क्षण में गड़बड़। क्योंकि 'घटता-बढ़ता चांद रोज ही' नेत्र और गले संबंधी रोग भी हो सकते है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर को काले तिल चढ़ाए। श्री गणेश को दुर्वा चढ़ाएं और पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में दूध और चावल दान करें।
6. कन्या राशि वर्ष प्रवेश के समय बारहवें घर में राहु का गोचर 12 सितम्बर तक आंखो को हल्की-फुल्की तकलीफ देने की कोशिश करेगा। कुंभ राशि में केतु के भ्रमण के कारण आपका वजन कम होगा। मेटाबालिक रेट बढ़ेगा और स्वस्थ्य बेहतर होगा। रोग और शत्रु स्थान का स्वामी शनि 26 जनवरी से धनु राशि में जाने के बाद रोग और शत्रु का विनाश करेगा। लग्न यानि शरीर का स्वामी बुध केन्द्र में बैठकर सूर्य के साथ राजयोग बना रहा है और 95 प्रतिशतबली है। इस वर्ष आपका लग्नेश आपको राजा जैसा शारीरिक सुख देगा। लग्न में गुरू का गोचर आपके वजन को घटाएगा। कुल मिलाकर संतुलन बना रहेगा और इस वर्श आप शानदार स्वास्थ्य का आनंद लेने में सफल रहेगे।
7. तुला राशि स्वास्थ्य की दृष्टि से तुला राशि वालों को पूरे वर्ष आलस्य और रोग की समस्या बनी ही रहेगी। रोगस्थान का स्वामी बृहस्पति ठीक सामने बैठकर अपने घर की वृद्धि कर रहा है। यानि रोग भी बढ़ेगे और शत्रु भी। पानी से होने वाले संक्रमणों और लिवर से संबंधित रोगों से आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। भटकटैया के फूलों को अपने पास रखने से या भटकटैया के फूलों से हवन करने से तकलीफ दूर होगी। 6 फरवरी से 9 जून के बीच विशेष सावधानी बरतनी होगी। 18 अगस्त से वर्ष के अंत तक हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। 13 सितम्बर से लिवर संबंधी समस्याओं का अंत हो जाएगा और बेहतर स्थिति बनेगी। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि कालेस्ट्रोल और हृदय संबंधी परेशानियों के प्रति लापरवाही न बरतें।
8. वृश्चिक राशि वर्ष के आरंभ से ही आपको अपनी जठरागिनी का ध्यान रखना होगा एसिडीटी और भोजन में अरूचि की समस्याएं आपको परेशान कर सकती है। आपको अपनी डिवार्मिग समय-समय पर करती रहनी चाहिए। आपको अपनी डिवार्मिग समय-समय पर करती रहनी चाहिए। अगर आपकों पहले से ही उच्च रक्तयाप की समस्या है तो इस साल वो पूरी तरह नियंत्रित हो जाएगी। आपकों अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर आंखो का चेकअप करवाना ठीक रहेगा। आपके दांतों के पिछले हिस्से में अक्टूबर या नवंम्बर के महीने में कुछ व्यतिक्रम हो सकता है। मामूली है, पर ध्यान रखेंगे तो कुछ नहीं होगा। {img-17068}
9. धनु राशि स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा है। प्राकृतिक चिकित्सा का दामन पकड़कर आप मजबूती से आगे बढ़ेगे। थोड़ा ध्यान अपने लिवर की तरफ देना ठीक रहेगा। सितंबर के बाद यह खतरा भी समाप्त हो जाएगा। हालांकि, 6 अप्रैल से 21 जून तक पेट की तकलीफों का सिलसिला हो सकता है। 14 मई से 14 जून के बीच एक पात्र में जल भरकर दान करने से विशेष लाभ होगा। जो लोग विटामिन वी-12 और विटामिन-डी की कमी से पीड़ित है। वे 6 अप्रैल से 21 जून और 27 अक्टूबर से वर्ष के अंत तक अपने शरीर में विटामिन और मिनरलस का चेकअप कराते रहें। शनि के गोचर के साथ स्नायुतंत्र संबंधी रोगों से भी बचना उचित रहेगा। वर्ष के उत्तरार्द्ध में एक बार फिर प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए आप पुर्नयौवन प्राप्त करने में सफल रहेंगे।
10. मकर राशि स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष आपके लिए नजला, जुकाम, कमर और पीठ दर्द, दांत और स्नायुतंत्र की दृष्टि से महत्तपूर्ण है। आपके शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा मानसिक स्वास्थ्य में भी कुछ बदलाव दिखेगा। ईष्र्या की प्रवृत्ति यू - तो मनुष्य की सहज प्रवृत्ति है, लेकिन इस वर्ष आपके स्वाभाव में बड़ी गंभीरता से अपनी जड़े जमाएंगी। आपको अपने इस मानसिक स्वास्थ्य के लिए सतर्क तो रहना ही होगा, संतुलन बनाने के लिए योग ध्यान आदि का सहारा लेना बेहतर रहेगा। फरवरी और मई के महीनों में दांतो की तकलीफ होगी। अगस्त और सितंबर में पीठ में तकलीफ से बचाव के लिए तैयारी रखनी चाहिए। लग्नेश शनि की जनवरी में और 25 अगस्त से 27 अक्टूबर तक शुभगोचर स्वास्थ्य के लिए कल्याणकारी रहेगा। शारीरिक स्वास्थ्य के मुकाबले मानसिंक स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। चित्त की अधोगमी वृत्तियां मनुष्य को लंबे समय का नुकसान देने वाली होती है। उनसे आपको बचना चाहिए।
11. कुंभ राशि स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अगर कोई आपरेशन पेंडिंग है तो उसे जून के महीने के पहले ही करा लेना अच्छा है। मन में दीनता का भाव हो सकता है। आलस्य भी बना रहेगा। मन में धूर्तता का विचार आ सकता है। अनुचित काम करने की मानसिक प्रवृत्ति बढ़ेगी। खांसी, वात-रोग यानि वायु विकार और सांस-संबंधी रोग होंगे। मन में बिमारियों का डर लगा रहेगा। बहन के बच्चों को कुछ गिफ्ट करने से मन में संतोश का अनुभव होगा और मन की स्थिति बेहतर होगी। अपनी थाली का बचा हुआ झूठा भोजन कुत्ते को देने से शारीरिक व्याधियों से मुक्ति मिलेगी। गाय को छूने से बहुत सी तकलीफें दूर हो जायेंगी। कुल मिलाकर थोड़ी-सी सतर्कता बरतने से आप इस वर्श अच्छे स्वास्थ्य का आनंद उठा सकते है।
12. मीन राशि स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अरोग्य लाभ होगा। शारीरिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी और साहसिक कार्यो में सफलता मिलेगी। कमर और जांघ में पीड़ा होगी। आपको इस समय कसरत के साथ-साथ आराम के महत्तव को भी ध्यान में रखना होगा। नेत्र पीड़ा और रोग भी हो सकते है। मन में विरक्ति का भाव आ सकता है और जीवन में अपनी निगेटिविटी सघन चिंता हो सकती है। मन में उदासी और यदा-कदा क्रोध भी महसूस करेंगे। इस वर्ष आपको प्रमुख बीमारियां होगी एसिडीटी, गैस और कन्फ्यूजन। एसिडीटी के कारण दांतों और कानों में भी तकलीफ होगी। कानों का विषेश ध्यान रखने की आवश्यकता है। गैस की अधिकता के कारण चित्त में विचलन रहेगा और सुसाइडल टेंडेसीज यानि आत्महत्या की प्रवृत्ति विकासित होंगी। दिमागी तौर पर आप हमेशा भ्रम की स्थिति में रहेंगे। इन सब चीजों से बचने के लिए जौ का आटा और सफेद तिल दान करें और मुमकिन हो तो सेवन भी करें। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्मण को दिए जाने वाले दान में घी की मात्रा बढ़ाने से उत्तम अरोग्य की प्राप्ति होगी।