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कालसर्प योग के लक्षण - -

जन्म कुण्डली में राहु और केतु की विशेष स्थिति से बनने वाले कालसर्प योग एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी कुंडली में परिलक्षित होता है। व्यावहारिक रूप से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे संतान संबंधी कष्ट होता है। या तो उसे संतान होती ही नहीं, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। धनाढय घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है।

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श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

ॐ भद्रायै नमः
ॐ शर्वाण्यै नमः
ॐ विजयायै नमः
ॐ जयायै नमः
ॐ वाण्यै नमः
ॐ सर्वगतायै नमः
ॐ गौर्यै नमः
ॐ वाराह्यै नमः
ॐ कमलप्रियायै नमः
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ कमलायै नमः
ॐ मायायै नमः
ॐ मातंग्यै नमः
ॐ अपरायै नमः
ॐ अजायै नमः
ॐ शांकभर्यै नमः
ॐ शिवायै नमः
ॐ चण्डयै नमः
ॐ कुण्डल्यै नमः
ॐ वैष्णव्यै नमः
ॐ क्रियायै नमः
ॐ श्रियै नमः
ॐ ऐन्द्रयै नमः
ॐ मधुमत्यै नमः
ॐ गिरिजायै नमः
ॐ सुभगायै नमः
ॐ अम्बिकायै नमः
ॐ तारायै नमः
ॐ पद्मावत्यै नमः

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रोजमर्रा में घर की ठीक ढंग से सफाई न हो

रोजमर्रा में घर की ठीक ढंग से सफाई न हो
पाने के कारण कई जगह धूल-मिट्टी और जाले लग जाते
हैं, जिससे घर गंदा लगता है और नकारात्मक ऊर्जा घर
में प्रवेश करती है। अत: घर में पूजा का स्थान तय करने से
पहले दीवारों व घर के कोनों को साफ कर लें।
घर में बेकार, टूटा-फूटा या जंग लगा सामान भी
इकट्ठा न होने दें। जिस सामान को आपने कई सालों
से इस्तेमाल नहीं किया है, वह आप आगे भी नहीं
करेंगी। अत: अनावश्यक वस्तुओं को जमा करने की जगह
उन्हें घर से बाहर कर दें या किसी जरूरतमंद को दे दें।
परदे, कुशन, सोफे आदि के कवरों को अच्छी तरह से

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