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वास्तु " की शुरुवात होती है घर बनाने के लिए

वैदिक वास्तु अपने आप में एक बहुत बड़ी सम्पदा है जो
भारतीय मनीषियों की दूरदर्शिता प्रमाणित करता
है |
वास्तु के सकारात्मक परिणामो को प्राप्त करने के
लिए किसी भी तरह की तोड़ फोड़ करने की जरुरत
नहीं, कई पद्धतियों (छोटे छोटे उपाय) से वास्तु (घर /
कार्यस्थल ) के नकारात्मक परिणामो को
सकारात्मक उर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है
|
: : ॐ तत् सत : :
: : शुभम भवतु :

 

 

 

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पितृदोष

पितृदोष

पितृदोष

गुड़-चने का भोग लगाएं, सिंदूर व चमेली के तेल, नारियल,
लाल फूल, अक्षत अर्पित कर पूजा करें।
हर अमावस्या को (और दिवाली को भी)
पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से पितृ
और देवताप्रसन्न होते हैं, और अच्छी आत्माएं घर में
जनम लेती हैं.
"तिल - लोहा - सोना - कपास - लवण - सप्तधान्य यानि सात तरह
के अनाज - भूमि - गाय"
धार्मिक मान्यताओं में किसी विद्वान और योग्य ब्राह्मण
को ये दान करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति और
मुक्ति मिलती है, बल्कि दान करने वाले के
जीवन में आ रही सभी दु:ख
और बाधाओं का अंत हो जाता है।

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देवी [सप्तशती] पाठ विधि

देवी [सप्तशती] पाठ विधि

देवी [सप्तशती] पाठ विधि

भुवनेश्वरी संहिता में कहा गया है- जिस प्रकार से
''वेद'' अनादि है, उसी प्रकार ''सप्तशती'' भी
अनादि है। श्री व्यास जी द्वारा रचित महापुराणों
में ''मार्कण्डेय पुराण'' के माध्यम से मानव मात्र के
कल्याण के लिए इसकी रचना की गई है। जिस प्रकार
योग का सर्वोत्तम गं्रथ गीता है उसी प्रकार ''दुर्गा
सप्तशती'' शक्ति उपासना का श्रेष्ठ ग्रंथ ह।ै 'दुर्गा
सप्तशती'के सात सौ श्लोकों को तीन भागों प्रथम
चरित्र (महाकाली), मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी)
तथा उत्तम चरित्र (महा सरस्वती) में विभाजित
किया गया है। प्रत्येक चरित्र में सात-सात देवियों

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