आप भी जानें :पौराणिक कथानुसार जब श्री गणेश जी सत्यलोक से विचरते हुए चंद्रलोक पहुंचे तब वहां रूपवान चंद्रमा को श्री गणेश जी का व्यक्तित्व बहुत ही हास्यापद लगा उनकी बढ़ी हुयी तोंद, लम्बी सूंड और बड़े बड़े दांत इत्यादि देखकर अपने रूप पर गर्वित चन्द्र देव उन पर हंस पड़े l इस पर गणपति चंद्रमा पर कुपित हो गए और श्राद दे डाला कि जो भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तुम्हें देखेगा वो कलंकित हुए बगैर नहीं रहेगा l श्राप सुनकर चंद्रमा का मुख मलिन हो गया और वो जल में प्रवेश कर वहीँ निवास करने लगे l सभी देव,ऋषि और गन्धर्व दुखी और चिंतित होकर ब्रह्मा जी के पास गए उन्हें चन्द्रमा के शाप के बारे में सुना कर शाप मुक्