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ॐ भगवान शिव के मृत्युंजय मंत्र का जाप हर मनुष्य को करना चाहिऐ!
महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि(प्रकार) के देवताओं
के घोतक हैं।
महामृत्युंजय मन्त्र से शिव की आराधना करने
पर समस्त देवी देवताओं की आराधना स्वमेव
हो जाती है।
उन तैंतीस कोटि देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और
12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं।
इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ
महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है,
जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला
प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं।
साथ ही वह नीरोग,ऐश्वर्य युक्ता धनवान भी
होता है।
महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि
से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है।
भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस
निरन्तंर बरसती रहती है।
शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' माना जाता है।
मंत्र इस प्रकार है
||महा मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!