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क्या करें नवरात्र के पहले दिन

नवरात्र में देवी के नौ रूपों की विशेष पूजा का विधान है नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री के रूप की पूजा की जाती है यदि आपका सूर्य अशुभ फल दे रहा हो सदैव हर काम में बाधा ही लगती हो तो कल की रात यानी 18 मार्च को माँ शैलपुत्री की आराधना करें सफलता की देवी माँ शैलपुत्री की कृपा से दुःख दरिद्रता का नाश होगा और सफलता ही सफलता मिलेगी रात में "वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ । 
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥"इस मंत्र का सम्पुट लगाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष लाभ होता है

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नवरात्रि में घर पर करें सरल रीति से हवन

पुराणों के अनुसार किसी भी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिये पूजा  अथवा जप के बाद हवन करने का विधान है। हवन अथवा यज्ञ भारतीय परंपरा अथवा हिन्दू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया को 'यज्ञ' कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वे पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है (जो अग्नि में डाले जाते हैं।) 

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होलिका दहन, 2018: पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

इस बार 1 मार्च को सुबह 8 बजे से पूर्णिमा तिथि लग रही है, लेकिन खास बात ये है कि इस दिन भ्रद्रा भी लग रही है। कहा जाता है कि भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है। ऐसे में होलिका दहन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भद्रा समय को त्याग करने के बाद किया जायेगा। इस वर्ष गुरुवार को पूर्णिमा रात्रि और प्रातकाल 6:30 तक है, मघा नक्षत्र रात्रि 11:45 तक, अतिगंड योग प्रातः काल 7:45 तक इसके बाद सुकर्मा योग और भद्रा प्रातः काल 9:9 से सायं काल 7:51 तक है।

ये होगा होलिका दहन का शुभ महूर्त 

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