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Impordent For Stone Remedies

कौन-कौन से रत्न एक साथ नहीं पहनने चाहिए / एक साथ वर्जित रत्न :

जब मैंने रत्नों के बारे में लिखा तो बहुत से लोगों ने कई अजीब-२ बातें बताई. कोई जन्म तिथि के अनुसार रत्न पहन रहा है, तो कोई शौक से . कोई नीलम और माणिक एक साथ पहन रहा है - तो कोई ऐसे ही शत्रु ग्रहों के ! 
(यहाँ मैं यह बता दूँ कि मैंने स्वयं अनेकों लोगों के गलत रत्न उतारने के बाद उनके जीवन में उन्नत्ति होती देखि है. ऐसे दर्ज़नों जाने-मने ज्योतिषी हैं (जिनमें से कई नियमित रूप से टी. वी. के कई चॅनेल्स में छाए रहते हैं) - जिन हों ने मुझसे सलाह लेकर कई रत्न पहने/उतारे और लाभ उठाया).

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Kundlni

संसार के सभी धर्मों और संस्कृतियों में किसी न किसी प्रकार एक शक्ति का विवरण जरुर मिलता है ,वह है कुंडलिनी शक्ति |इसका स्वरुप और विवरण हर समुदाय -धर्म -संस्कृति के अनुसार भिन्न होता है किन्तु सभी इसका अस्तित्व मानते जरुर हैं किसी न किसी रूप में और कहते हैं की ऐसी एक शक्ति हर प्राणी में है जो उसे ब्रह्मांडीय शक्ति से जोडती है |

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गुरू चांडाल योग

कहीं आपकी कुण्डली में भी तो है नहीं चाण्डाल योग -

चांडाल शब्द का अर्थ होता है क्रूर कर्म करनेवाला, नीच कर्म करनेवाला
राहू और केतु दोनों छाया ग्रह है. पुराणों में यह राक्षस है. राहू और केतु के लिए बड़े सर्प या अजगर की कल्पना करने में आती है. राहू सर्प का मस्तक है तो केतु सर्प की पूंछ. ज्योतिषशास्त्र में राहू -केतु दोनों पाप ग्रह है. अत: यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हो उस भाव या उस ग्रह संबंधी अनिष्ठ फल दर्शाता है. यह दोनों ग्रह चांडाल जाती के है. इसलिए इनकी युति को चांडाल ( राहू-केतु ) योग कहा जाता है.

कैसे होता है चाण्डाल योग

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