कहीं आपकी कुण्डली में भी तो है नहीं चाण्डाल योग -
चांडाल शब्द का अर्थ होता है क्रूर कर्म करनेवाला, नीच कर्म करनेवाला
राहू और केतु दोनों छाया ग्रह है. पुराणों में यह राक्षस है. राहू और केतु के लिए बड़े सर्प या अजगर की कल्पना करने में आती है. राहू सर्प का मस्तक है तो केतु सर्प की पूंछ. ज्योतिषशास्त्र में राहू -केतु दोनों पाप ग्रह है. अत: यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हो उस भाव या उस ग्रह संबंधी अनिष्ठ फल दर्शाता है. यह दोनों ग्रह चांडाल जाती के है. इसलिए इनकी युति को चांडाल ( राहू-केतु ) योग कहा जाता है.
कैसे होता है चाण्डाल योग