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होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम

होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम:

होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम

होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।

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होलिका की राख के अचूक उपाय

होलिका की राख के अचूक उपाय

होलिका की राख के अचूक उपाय

1-यदि कोई व्यक्ति निरन्तर बीमार रहता है, और काफी दवा कराने के बावजूद भी रोग में कोई लाभ नहीं हो रहा है, तो होली दहन के समय देशी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता इन सभी वस्तुओं को होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख रोगी के शरीर में लगायें और तत्पश्चात गर्म जल से स्नान करायें। इस उपाय से रोगी शीघ्र ही स्वस्थ्य होने लगेगा।
2-कोई व्यक्ति अभिचार कर्म के कारण अर्थात मारण, विद्वेषण, उच्चाटन, सम्मोहन व वशीकरण से अक्रान्त हो तो वह व्यक्ति उपरोक्त विधि से होलिका की राख शरीर में लगाकर गर्म जल से स्नान कराने से नकारात्मक प्रभाव निर्मूल हो जाता है।

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सबसे प्रभावशाली मंत्र, अति दुर्लभ...

भगवान गणपति का अतिदुर्लभ स्त्रोत से संबधित उपाय~ ************************************* इसके पाठ से दुनिया का ऐसा कोई कार्य नही जो सिध्द न हो।एंव बच्चों से संबधित सभी समस्या हेतु यह सर्वतारण उपाय है। जैसे बच्चे न होना या जीवित न रह पाना बच्चा मंद बुद्धि पढ़ने मे पीछे हो, यह विशेष मंत्र बच्चों को रोजगार व्यवसाय प्रदान कर भटकाव भ्रम से मुक्त करता है। इस मंत्र का जाप बच्चे युवा एंव उनके माता पिता कर सकते है। स्त्रोत - -------- एकदंष्ट्रोत्कटो देवो गजवक्त्रो महाबल:। नागयज्ञोपवीतेन नानाभरण भूषित:॥ सवार्थसम्पद् उध्दारो गणाध्यक्षो वरप्रद:। भीमस्य तनयो देवो नायकोsथ विनायक:॥ करोतु मे महाशांति भास्करा

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