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संतान बाधा

संतान सुख हीनता के योग
लग्न एवम चंद्रमा से पंचम भाव में निर्बल पाप ग्रह अस्त एवं शत्रु नीच राशि नवांश में स्थित हों एवं पंचम भाव पाप कर्तरी योग से पीड़ित हो एवं पंचमेश और गुरु अस्त एवं शत्रु नीच राशि नवांश में लग्न से 6 ए वं 8 12 वें भाव में स्थित हों एवं गुरु से पंचम में पाप ग्रह हो एवं षष्टेश अष्टमेश या द्वादशेश का सम्बन्ध पंचम भाव या उसके स्वामी से होता हो एवं लग्न का स्वामी जन्म कुंडली में 6,8, 12 वें भाव में अस्त शत्रु ,नीच राशि नवांश में स्थित हों तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है ।जितने अधिक कुयोग होंगे उतनी ही अधिक कठिनाई संतान प्राप्ति में होगी ।

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मां पार्वती ने क्यों दिया गंगाजी को श्राप

देवाधिदेव महादेव को जगतपति भी कहा जाता है, क्योंकि उनका विवाह इस संसार की शक्ति, मां पार्वती से हुआ था. मान्यता है, शिव और शक्ति के संयोजन से ही यह प्रकृति चलती है. वे दोनो एक दूसरे के अर्धांग हैं और एक दूसरे के बिना अपूर्ण भी हैं. जहां एक तरफ शिव अनादि के सृजनकर्ता हैं वहीं शक्ति प्रकृति का मूल स्वरूप. माता पार्वती हिमावन राज की पुत्री हैं जिसके अनुसार उन्हे शैलपुत्री भी कहा जाता है, वहीं सनातन धर्म के अनुयायी ये भी मानते हैं कि देवी गंगा का अवतरण भी हिमालय से हुआ, जिस अनुसार वे पार्वती जी की बहन लगती हैं.

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सावन माह में शिव अभिषेक कैसे करें ....

भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्‍योंकि ऐसी मान्‍यता है कि शिवजी को प्रसन्‍न करना आसान है और वह हमारे जीवन को सुख-समृद्धि, एश्‍वर्य व उन्‍नति प्रदान करते है। भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जिनकी लिंग रूप में भी पूजा की जाती है। शिवलिंग की पूजा व अभिषेक करने से विशेष लाभ प्राप्‍त होता है; अलग-अलग पदार्थों से शिव अभिषेक किया जाता है। शिव अभिषेक के लिए किन-किन पदार्थों का उपयोग लाभकारी है और उनसे क्‍या फल प्राप्‍त होता है, इसके बारे में हम आपको यहाँ बता रहें हैं।
1. दुग्‍ध अभिषेक
भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने से दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. शहद अभिषेक

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