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दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त...

कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है। यदि दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान है। यह मत सबसे ज्यादा प्रचलित और मान्य है।

2. वहीं, एक अन्य मत के अनुसार, अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में पहले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए।

3. इसके अलावा यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, यानी कि अगर अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरम्भ हो जाए, तो ऐसे में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाने का विधान है।

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धनतेरस पूजा

धनतेरस का त्योहार, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और भोग

धनतेरस पूजा

इस वर्ष 13 नवंबर, शनिवार को (Dhanteras) धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. धनतेरस हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की (Trayodashi tithi) त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इसे धन्वंतरि  (Dhanvantari) जयंती के नाम भी जाना जाता है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे. ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वतंरि की पूजा से अरोग्यता की प्राप्ति होती है. इस दिन वस्तुओं की खरीदारी को शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन लोग सोना-चांदी (Gold and Silver) की खरीदारी करते हैं, माना जाता है कि इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है.

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कुबेर मंत्र और पूजा

धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर कुबरे की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। य​दि ऐसा संभव न हो तो अपनी तिजोरी को कुबेर मानकर पूजा करें। कुबेर खजाने के प्रतीक माने जाते हैं। फिर कुबेर मंत्र का जाप करें और अंत में विधि पूर्वक आरती करें।

 

ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

धनतेरस को यम दीपक जलाए

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को घर से बाहर यम दीपक जलाया जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है। परिवार के सदस्यों को असामयिक मृत्यु से बचाने के लिए ऐसा करते हैं।

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