ये शब्द हर मनुष्य के मन को एक सुखद एहसास ,एक
रूमानी दशा से दो चार करता आया है।तो आइये आज
इसी विषय पर चर्चा करने का प्रयास करते हैं।
आम बोलचाल की भाषा के प्रेम विवाह व ज्योतिष
शास्त्रानुसार प्रेम विवाह में फर्क
होता है,होना भी चाहिए और अधिक आवश्यक है
की जातक व ज्योतिषी दोनों को इस फर्क
का पता होना चाहिए।कालांतर में प्रेमविवाह के अर्थ बदलते रहे
हैं।आज जो हो रहा है वो प्रेम विवाह
नहीं है,आपसी समझौता है अपने
जीवन को सुगम बनाने के लिए।आज से तीस
चालीस साल पहले जब
जाती प्रथा का ठीक ठाक बोलबाला था ,तब