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प्रेम विवाह व ज्योतिष

ये शब्द हर मनुष्य के मन को एक सुखद एहसास ,एक
रूमानी दशा से दो चार करता आया है।तो आइये आज
इसी विषय पर चर्चा करने का प्रयास करते हैं।
आम बोलचाल की भाषा के प्रेम विवाह व ज्योतिष
शास्त्रानुसार प्रेम विवाह में फर्क
होता है,होना भी चाहिए और अधिक आवश्यक है
की जातक व ज्योतिषी दोनों को इस फर्क
का पता होना चाहिए।कालांतर में प्रेमविवाह के अर्थ बदलते रहे
हैं।आज जो हो रहा है वो प्रेम विवाह
नहीं है,आपसी समझौता है अपने
जीवन को सुगम बनाने के लिए।आज से तीस
चालीस साल पहले जब
जाती प्रथा का ठीक ठाक बोलबाला था ,तब

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कुलदेवी कृपा प्राप्ति साधना

ज्यादा चिंता उन्हेही ही होती है
। कुलदेवी कि कृपा से कई जीवन के येसे
कार्य है जिनमे पूर्ण सफलता मिलती है । कई लोग येसे
है जिन्हें
अपनी कुलदेवी पता ही नहीं और
कुछ येसे भी है जिन्हें कुलदेवी पता है
परन्तु उनकी पूजा या फिर
साधना पता नहीं है । तो येसे समय यह
साधना बड़ी ही उपयुक्त है । यह
साधना पूर्णतः फलदायी है और गोपनीय है ।
यह दुर्लभ विधान मेरी प्यारी गुरुभाई/बहन
कि लिए आज सदगुरुजी कि कृपा से हम
सभी के लिये ।
इस साधना के माध्यम से घर मे क्लेश चल
रही हो या कोई
चिंता हो या बीमारी हो या धन

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राहु चन्द्र हमेशा चिन्ता का योग बनाते हैं

बीमारी या काम काज की चिन्ता लगी रहती
है,महिलाओं को अपनी सास या ससुराल खानदान के
साथ बन्धन की चिन्ता लगी रहती है।
राहु और चन्द्रमा का एक साथ रहना हमेशा से देखा
गया है, कुन्डली में एक भाव के अन्दर दूरी चाहे २९ अंश
तक क्यों न हो,वह फ़ल अपना जरूर देता है।
इसलिये राहु जब भी गोचर से या जन्म कुन्डली की
दशा से एक साथ होंगे तो जातक का चिन्ता का
समय जरूर सामने होगा

 

 

 

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