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ज्यादा चिंता उन्हेही ही होती है
। कुलदेवी कि कृपा से कई जीवन के येसे
कार्य है जिनमे पूर्ण सफलता मिलती है । कई लोग येसे
है जिन्हें
अपनी कुलदेवी पता ही नहीं और
कुछ येसे भी है जिन्हें कुलदेवी पता है
परन्तु उनकी पूजा या फिर
साधना पता नहीं है । तो येसे समय यह
साधना बड़ी ही उपयुक्त है । यह
साधना पूर्णतः फलदायी है और गोपनीय है ।
यह दुर्लभ विधान मेरी प्यारी गुरुभाई/बहन
कि लिए आज सदगुरुजी कि कृपा से हम
सभी के लिये ।
इस साधना के माध्यम से घर मे क्लेश चल
रही हो या कोई
चिंता हो या बीमारी हो या धन
कि कमी या धन का सही तरह से इस्तेमाल
न हो या देवी/देवतओं कि कोई
नाराजी हो तो इन सभी समस्या ओ के लिये
कुलदेवी साधना सर्वश्रेष्ट साधना है ।
सामग्री :-
३ पानी वाले नारियल, लाल वस्त्र, ९ सुपारिया, ८ या १६
शृंगार कि वस्तुये, खाने कि ९ पत्ते, ३
घी कि दीपक, कुंकुम,
हल्दी, सिंदूर, मौली, तिन प्रकार कि मिठाई ॥
साधना विधि :-
सर्वप्रथम नारियल कि कुछ जटाये निकाले और कुछ बाकि रखे फिर एक
नारियल को पूर्ण सिंदूर से रंग दे दूसरे को हल्दी और
तीसरे नारियल को कुंकुम से, फिर 3 नारियल
को मौली बांधे ।
किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाये, उस पर 3 नारियल
को स्थापित कीजिये, हर नारियल के सामने 3 पत्ते रखे,
पत्तों
पर 1-1 सिक्का (coin) रखे और सिक्का (coin) कि ऊपर
सुपारिया स्थापित कीजिये । फिर गुरुपूजन और गणपति
पूजन संपन्न कीजिये ।
अब जहा पूजा का स्थापन कि है उन सबकी चावल,
कुंकुम, हल्दी, सिंदूर, जल, पुष्प, धुप और
दीप से पूजा कीजिये ।
जहा सिन्दूर वाला नारियल है वहा सिर्फ सिंदूर ही चढ़े
बाकि हल्दी कुंकुम नहीं । इस प्रकार से
पूजा करनी है और चावल भी
3 रंगों मे ही रंगाने है । अब 3 दीपक
स्थापित कर दीजिये और
कोई भी मिठाई किसी भी नारियल के
पास चढादे । साधना समाप्ति के बाद प्रसाद परिवार मे
ही बाटना है । शृंगार पूजा मे
कुलदेवी कि उपस्थिति कि भावना करते हुये चढादे और
माँ को स्वीकार
करनेकी विनती कीजिये ।
और लाल मूंगे कि माला से 3 दिन तक 11 मालाये मंत्र जाप रोज
करनी है । यह साधना शुक्ल पक्ष कि 12,13,14
तिथि को करनी है । 3 दिन बाद
सारी सामग्री जल मे परिवार के कल्याण
कि प्रार्थना करते हुये प्रवाहित कर दे.
मंत्र :-
ओम
ह्रीं श्रीं कुलेश्वरी प्रसीद
- प्रसीद ऐम् नम:
साधना समाप्ति के बाद सहपरिवार आरती करे
तो कुलेश्वरी कि कृपा और बढती है ।