ज्योतिष योग एवं लेखाविद पेशा (Astrology Yogas to Become a Chartered Accountant)

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ज्योतिष योग एवं लेखाविद पेशा (Astrology Yogas to Become a Chartered Accountant)
लेखाविद का व्यवसाय आज के भौतिक युग में अत्यधिक प्रतिष्ठा, धन व शोहरत का प्रयाय बन गया है. बुध, गुरु , मंगल व शनि ग्रहों को संबध इस व्यवसाय के लिये अच्छा समझा जाता है.
आवश्यक भाव: दूसरा, छठा, दशम, द्वादश व पंचम भाव (Second, Sixth, Tenth, Twelfth and Fifth House)
ज्योतिष की दृष्टि से इसमें दूसरा घरजिसे अर्थ व धन का घर ( the second house is the house of money) कहा जाता है. छठा घर जिसे प्रतियोगिता व कानून का घर कहते है. दशम घर कर्म स्थान, द्वादश घर को टैक्स व राजस्व तथा पंचम भाव को सलाह का घर कहा जाता है. ये सभी ग्रह मिलकर चार्टेट अकाउन्टेंट बनने की ओर इशारा करते है. इस क्षेत्र में महारत हासिल करने के लिये शिक्षा का उतम होना आवश्यक है. इसलिये इनका संबध पंचम भाव /पंचमेश से आना चाहिए.
कुण्डली में लग्नेश, दशमेश, पंचमेश, भाग्येश, लाभेश, धनेश ये सभी अत्यन्त महत्व रखते है. क्योंकि इन सब की शुभ स्थिति के कारण ही व्यक्ति को उच्चस्तर का व्यवसाय व उच्चशिक्षा प्राप्त होती है. जिससे व्यक्ति को अधिक लाभ प्राप्त करते हुए यश की प्राप्ति होती है. चार्टेट अकाउण्टेन्ट के मामलें में छठे व बारहवें घरों का बहुत अधिक महत्व होता है.क्योकि इससे टैक्स व आडिट करने वालों का पता लगता है.
आवश्यक ग्रह : बुध, गुरु, मंगल व शनि (Important Planet: Mercury, Jupiter, Mars and Saturn for Chartered Accountant Career)
चार्टेट अकाउण्टेण्ट बनने के लिये जिन ग्रहों के योग की आवश्यकता है. उनमें बुध तथा गुरु इसके लिये मुख्य ग्रह है (Jupiter and Mercury are the main planet to consider planetary yogas for chartered accountant.) . गुरु धन तथा परामर्श के कारक है. और बुध अकाउण्टेन्स या हिसाब किताब के कारक है. बुध हिसाब किताब तो रखते है. बुध से ही हिसाब किताब करने की योग्यता आती है. पर प्रतियोगिताओं में मंगल सफलता दिलाते है.
शनि का प्रभाव भी पंचम भाव/पंचमेश पर अच्छा समझा जाता है. सामान्यत: यह देखने में आया है की मंगल का प्रभाव दूसरे घर व दूसरे घर के स्वामी पर अधिक होता है. इस क्षेत्र में वही व्यक्ति कदम रखते है जिनकी गणित विषय में अच्छी पैठ होती है. क्योंकि चार्टेट अकाउन्टेन्ट का सारा काम हिसाब किताब रखने का ही होता है.
मंगल, शनि का संबध इसलिये भी आवश्यक होता है. क्योंकि जो लोग राजस्व बढाने व टैक्स बचाने के चक्कर मे रहते है. उन्हे इन पापी ग्रहों का सहारा लेना ही पडता है. जिन अकाउण्टेन्ट की कुण्डली में मंगल व शनि का प्रभाव होता है. वे राजस्व व टैक्स बचाने का काम अधिक करते है.
अमात्यकारक ग्रह की भूमिका: (Role of Amatyakaraka Planet for Chartered Accountant Career)
अमात्यकारक ग्रहों से व्यवसाय की दिशा पता चलती है. ( The Amatayakaraka planet will have relationship with the second house or its lord in the birth-chart of a chartered accountant) चार्टेट अकाउण्टेन्ट की कुण्डली में अमात्यकारक का संबध दूसरे घर व दूसरे घर के स्वामी से होता है. अमात्यकारक ग्रह का स्वभाव चार्टेट अकाऊन्टेन्ट की विशिष्टता बताता है. जैसे: अमात्यकारक ग्रह बुध होने पर व्यक्ति आडिट तथा अकाऊण्ट्स के क्षेत्र में काम करता है.
मंगल व शनि के होने पर व्यक्ति टैक्स बचाने से जुडा काम करता है. जैसे बिक्री कर, आयकर आदि. सूर्य के होने पर कारपोरेट के कानून इत्यादि. गुरु के अमात्यकारक होने से व्यक्ति को बैक या फाइनेन्स का काम करना अधिक पसन्द होता है.
अमात्यकारक ग्रह के दूसरे, पंचम तथा एकादश भावों से संबध होने से व्यवसाय में उन्नति तो होती ही है. चार्टैट अकाउण्टेन्ट बनने के लिये यह योग जितना अच्छा होगा. व्यक्ति को उतनी ही सफलता मिलती है.
दशाओं की भूमिका: (Role of Dasha of Planets
for Chartered Accountant Career)
व्यवसाय के शुरु में दशा स्वामियों का संबध छठे व दशवें घरों व अमात्यकारक से होना उतम होता है . क्योंकी दशाएं ही व्यक्ति की सफलता का मार्ग निर्धारित करती है. व्यवसाय करने के समय पर संबन्धित ग्रहों व भावों के स्वामियों की दशा मिलने से उन्नति प्राप्त करना सरल हो जाता है.
अन्य योग:(Other Yogas for Chartered Accountant Career)
पंचम भाव में पंचमेश के साथ वाणिज्य कारक बुध व शुक्र एक साथ बैठे और उस पर दशमेश या लाभेश की दृ्ष्टि हो रही हो तो व्यक्ति अकाउण्टन्स जुडी शिक्षा प्राप्त करता है. पंचम घर को शिक्षा का घर कहते है. इस घर में बैठे ग्रह व्यक्ति की शिक्षा व शिक्षा का विषय बताते है. बुध जो अकाउण्टस विषय का कारक है उसका पंचम घर से संबध बनाने से इस क्षेत्र में सफलता पाने की संभावना बनती है.
अकाउण्टस विषय का कारक बुध दशमेश होकर पंचमेश से युति या दृ्ष्टि संबध स्थापित करे और शुक्र लग्नेश या लाभेश या शिक्षा के कारक गुरु भी संबध बनाये तो भी व्यक्ति इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है.
सफल चार्टेट अकाउण्टेन्ट बनने के लिये व्यक्ति की कुण्डली में बुद्धिकारक बुध, ज्ञान के कारक गुरु, साहस व प्रतियोगिता के कारक मंगल व चन्द्र से विषय में रुचि आती है. कुण्डली में इन सभी का अच्छा संबध होने से व्यक्ति चार्टेट अकाउण्टेन्ट के क्षेत्र में किस्मत आजमाता है.