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१०. यदी द्वितीयेश तथा दशमेश
की युती हो।
११. दशमेश केंद्र १, ४, ७, १० में या त्रिकोण ५, ९ वे भाव में हो।
१२. किसी भी केन्द्रेश का त्रिकोणेश से योग
हो।
१३. वृषभ लग्न की कुंडली में दशम भाव में
शनी तथा चतुर्थ भाव में गुरु हो।
१४. मकर लग्न की कुंडली में दशम भाव में
शुक्र, तथा उस पर
शनी की दृष्टी हो।
१५. वृषभ लग्न की कुंडली में दशम भाव में
शनी , तथा चतुर्थ भाव में शुक्र हो।
१६. वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल
लग्न में हो।
१७. तुला लग्न की कुंडली में दशम भाव में
चन्द्र तथा चतुर्थ भाव में शुक्र हो।
(इन योगों में से जितने अधिक योग होगें जातक को उतने अधिक
उच्चाधिकार प्राप्त नौकरी मिलेगी।