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समय से ही वास्तु उपाय कर लेना
चाहिए। इसके लिए सबसे सरल उपाय
यह है कि दक्षिण पूर्व से एक तिहाई
भाग छोड़कर मुख्य द्वार का
निर्माण करवायें।
—-नए भवन के मुख्य द्वार में किसी
पुराने भवन की चौखट, दरवाजे या
पुरी कड़ियों की लकड़ी प्रयोग न करें।
—-मुख्य द्वार का आकार आयताकार
ही हो, इसकी आकृति किसी प्रकार
के आड़े, तिरछे, न्यून या अधिक कोण न
बनाकर सभी कोण समकोण हो। यह
त्रिकोण, गोल, वर्गाकार या बहुभुज
की आकृति का न हो।
—–किसी भी रोग की शान्ति के
लिए घर की पूर्व दिशा में एक कलश में
जल भरकर रखें और उस में चावल-हल्दी
ओर पीली सरसों मिलाएं. साथ में एक
देसी घी का दीपक जलाएं.
——घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा
को हमेशा भारी रखें. वास्तु के
किसी भी प्रकार की दोष की
शान्ति के लिए घर के हर कोने में सेंधा
नमक कटोरे में भर कर रखें.
——-विशेष ध्यान दें कि कोई भी
द्वार, विशेष कर मुख्य द्वार खोलते
या बंद करते समय किसी प्रकार की
कोई कर्कश ध्वनि पैदा न करें।
——अगर किसी का द्वार दक्षिण
दिशा में है तो उस दोष की शान्ति
के लिए हल्दी ओर रोली मिलाकर
मुख्य दरवाजे की चौखट के दोनों ओर
स्वस्तिक चिन्ह बनाने से दोष की
शान्ति होती है.
—–अगर पति-पत्नी में हमेशा कलह
रहता है तो ईशान कोण में राधा कृष्ण
जी का चित्र लगाए और उस जगह को
साफ़ रखें.
——धन-धान्य बढ़ोतरी के लिए उतर
दिशा में एक कलश में पानी भरकर उसमे
दो-चार दाने चावल के और चुटकी भर
हल्दी डाले. प्रतिदिन उसको बदलते
रहें. नजर दोष से बचने के लिए घर के
दक्षिण दिशा में तिल के तेल का
दीपक जलाएं.
—–घर के दक्षिण-पश्चिम में मुख्य
शयन कक्ष बनाना चाहिए क्योंकि
यह यम का स्थान है. यम शक्ति और
आराम का प्रतीक है.
——दरवाजों और खिड़कियों में
आवाज आने से वास्तु दोष होता है.
एक सीध में तीन दरवाजे होना वास्तु
दोष कहलाता है. सीढ़ियों की
संख्या 5-7-9 विषम संख्या में होनी
चाहिए.
——दरवाजा खोलते व बंद करते समय
किसी प्रकार की आवाज नहीं आना
चाहिए। बरामदे और बालकनी के
ठीक सामने भी प्रवेश द्वार का
होना अशुभ होता हैं।
—–सूर्यास्त व सूर्योदय होने से पहले
मुख्य प्रवेश द्वार की साफ-सफाई हो
जानी चाहिए। सायंकाल होते ही
यहां पर उचित रोशनी का प्रबंध
होना भी जरूरी हैं।
—–प्रवेश द्वार को सदैव स्वच्छ रखना
चाहिए। किसी प्रकार का कूड़ा या
बेकार सामान प्रवेश द्वार के सामने
कभी न रखे। प्रातः व सायंकाल कुछ
समय के लिए दरवाजा खुला रखना
चाहिए।
घर के दरवाजों को खोलते समय आवाज नहीं होनी चाहिये\
, समय समय पर दरवाजो के क्ब्ब्जे में तेल डालते रहना चाहिये