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चाँदों की 3 गोलियाँ बनायें, फिर दो मास
का गर्भ पूरा होने पर अर्था 61, 62, 63 वें दिन 1-1-
गोली प्रातः काल बछड़े वाली गौ के दूध के
साथ
गर्भवती को सेवन करायें ।
। नोटः- चाँदों की
कतरन (चूरा)
को कैपसूल में भरकर भी प्रयोग किया जा सकता हैं
2 ऋ़तुकाल में पलाश (ढाक) का पत्ता दूध में पीसकर
पिलाने से भी होने वाली सन्तान
शर्तिया लड़का ही होता है।
3 गर्भवती होने पर प्रथम मास में ही
शिवलिंगी के 9
या 11 बीजों का चूर्ण बछड़े वाली गाय के
दूध के साथ
प्रातः काल फाँकने से शिव के समान पराक्रमी पुत्र
ही उत्पन्न होता है। गर्भ का ज्ञान होते
ही यह प्रयोग
करलें, इसमें देरी न करें।
4 भांग के 9 बीज गुड़ में रखकर गोली
बनालें। गर्भ के तीसरे
माह के प्रारम्भ में प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर
यह गोली खिलाकर उपर से बछड़े वाली गाय
का धारोष्ण
दूध के पिलाने से शर्तिया पुत्र ही उत्पन्न होता है।
5 पुष्य नक्षत्र में लक्ष्मण बूंटी (हरिद्वार
की अधिक श्रेष्ठ
रहती है) की जड़ किसी
कुंआरी कन्या के हाथों पिसवाकर,
मासिक धर्म समाप्त होने के बाद, स्नान आदि करके तुरन्त
प्रयोग करें। इस प्रकार प्रति माह यह प्रयोग जारी
रखें। इस
प्रयोग काल में जब भी गर्भ धारण होगा तो निश्चित
ही पुत्र ही पैदा होगा।
6 बिजौरे के बीजों को दूध में पीसकर
मासिकधर्म के
दिनों लगातार 5 दिनों तक प्रयोग कराने से अवश्य ही
पुत्र
रत्न की प्राप्ति होती है।
7 असगन्ध का काढ़ा तैयार करें, उसको दूध में डालकर उसके
बराबर घी और मिश्री मिलाकर मासिकधर्म के
दिनों में 5
दिन प्रयोग करायें, निश्चय ही गर्भवती
होने पर पुत्र
की ही प्राप्ति होगी