क्यों नहीं देखते है भादों चतुर्थी का चंद्रमा

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क्यों नहीं देखते है भादों चतुर्थी का चंद्रमा
क्यों नहीं देखते है भादों चतुर्थी का चंद्रमा

आप भी जानें :पौराणिक कथानुसार जब श्री गणेश जी सत्यलोक से विचरते हुए चंद्रलोक पहुंचे तब वहां रूपवान चंद्रमा को श्री गणेश जी का व्यक्तित्व बहुत ही हास्यापद लगा उनकी बढ़ी हुयी तोंद, लम्बी सूंड और बड़े बड़े दांत इत्यादि देखकर अपने रूप पर गर्वित चन्द्र देव उन पर हंस पड़े l इस पर गणपति चंद्रमा पर कुपित हो गए और श्राद दे डाला कि जो भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तुम्हें देखेगा वो कलंकित हुए बगैर नहीं रहेगा l श्राप सुनकर चंद्रमा का मुख मलिन हो गया और वो जल में प्रवेश कर वहीँ निवास करने लगे l सभी देव,ऋषि और गन्धर्व दुखी और चिंतित होकर ब्रह्मा जी के पास गए उन्हें चन्द्रमा के शाप के बारे में सुना कर शाप मुक्तहोने का उपाय पूछा तव ब्रह्मा जी कहा, हे देवताओ गणेश जी के दिए शाप को काटने की शक्ति किसी में भी नहीं है, इसलिए आप लोग गणेश जी की ही शरण में जायें। उस पर देवों ने गणेश जी को प्रसन्न करने का उपाए पूछा तो ब्रह्मा जी ने उन्हें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर उनकी पूजा-उपासना की विधि बताई l बृहस्पति जी ने चन्द्रमा के पास जाकर ब्रह्मा जी द्वारा बताई बिधि का वर्णन किया, उस विधि के अनुसार कृष्ण चतुर्थी का व्रत व पूजन किया और स्तुति की जिससे गणेशजी प्रसन्न हुए और चंद्रमा से वर मांगने को कहा तब चन्द्रमा ने कहा मेरा दर्शन सभी प्राणी पूर्ववत करने लगें यही वर दीजिये । तब गणेश जी ने ये वर देने में असमर्थता दिखाते हुए कहा कि ये वर मैं तुम्हें नहीं दे सकता कोई और वर मांग लो l यह सुनकर देवता चिंतित हुए और गणेशजी से प्रार्थना करने लगे कि हे देवाधिदेव! आप चन्द्रमा को शाप मुक्त करदें, हम यही वर चाहते है आप ब्रह्माजी के बड़प्पन का विचार कर चन्द्रमा को शाप मुक्त कर दें। देवताओं की स्तुतियाँ आदि सुनकर श्री गणेश जी बोले की आप सब मेरे भक्त हो अत: आप लोगों को मैं अभीष्ट वर प्रदान करता हूँ l गणेशजी ने कहा जो लोग भादो शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रमा का दर्शन करेगें उन्हें मिथ्या कलंक तो अवश्य ही लगेगा, किन्तु शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन जो व्यक्ति हर महीने तुम्हारा दर्शन करते रहेंगे, उन्हें भादों सुदी चौथ के दर्शन का दोष नहीं लगेंगा। अत: शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चन्द्र दर्शन अवश्य करना चाहिए। शुक्ल चतुर्थी की कथा सुनने से भी दोष मुक्त हो जाते है। ऐसा कलंक खुद मुझ पर भी एक बार लगा था अत: ये मेरे द्वारा अनुभूत है .... ll ॐ गं गणपतये नम: ll