स्वप्न विचार / फल

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                       स्वप्न विचार / फल

 

                      जब हम जागते हैं ,विचारों पर हमारा नियंत्रण रहता है, पर जब हम निद्रावस्था में होते हैं तब विचारों पर हमारा नियंत्रण नहीं रह पाता । निद्रावस्था में हमारा स्थूल शरीर सुप्तावस्था में रहता है पर हमारा सूक्ष्म शरीर एवम मस्तिष्क क्रियाशील रहता है और हमें स्वप्नों के माध्यम से अनेक प्रकार के दृश्य,घटनाएं ,व्यक्ति,वस्तुएं एवम स्थान आदि दिखलाता है । ज्योतिष शास्त्र के अनेकों ग्रंथों एवम हमारे पुराणों में स्वप्नों के शुभा अशुभ फल का वर्णन दिया गया है । कई बार इन स्वप्न के माध्यम से हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत भी मिलता है । 

इन सपनों का भी आपके जीवन में बड़ा महत्‍व है। ज्‍योतिष विद्या के अनुसार व्‍यक्ति जो कुछ भी सपने में देखता है, उसका प्रभाव उसके जीवन पर जरूर पड़ता है। कई बार आपको याद रहता है कि आज आपने सपने में क्‍या देखा और कई बार भूल जाते हैं।यदि आपको सपना याद नहीं रहता है या आप चाह कर भी याद नहीं रख पाते हैं, तो उसके लिये आपको सिर्फ एक काम करें। जैसे ही आपकी आंख खुले, बस मनमें दो बातें सोचिये, "मैं कहां हूं और मैं क्‍या कर रहा ?" फिर ईश्वर से अपने पर कृपा बनाये रखने की प्रार्थना अवश्य करें।फिर आप अपना स्‍वप्‍न भूल नहीं सकते। 

भारतीय ग्रंथों, ज्योतिष शास्त्रों में स्वप्न देखे जाने के समय, उसकी तिथि व अवस्था के आधार पर इनके परिणामों का बहुत सूक्ष्मता और सरलता से विश्लेषण किया गया है। 

रात के पहले पहर में आने वाले स्वप्न बुरे स्वप्न होते है लेकिन आधी रात के बाद आने वाले स्वप्न समान्यता शुभ स्वप्न माने जाते है । 

* शुक्ल पक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशीतथा सप्तमी तिथि को देखा गया स्वप्न शीघ्र फल देने वाला होता है।

* पूर्णिमा को देखे गए स्वप्न का फल हमें अवश्य ही प्राप्त होता है।

* शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया एवं कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवमी को देखा गए स्वप्न का हमें विपरीत फल मिलता है।

* शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कृष्ण पक्ष की द्वितीया के स्वप्न का हमें देरी से फल प्राप्त होता है।

* शुक्ल पक्ष की चतुर्थी एवं पंचमी को देखे गए स्वप्न का हमें दो मास से दो वर्ष के भीतर फल प्राप्त हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार रात्रि के प्रथम प्रहर का स्वप्न एक वर्ष में , दूसरे प्रहर का स्वप्न आठ महीने में ,तीसरे प्रहर का स्वप्न तीन मॉस में ,चौथे प्रहर का स्वप्न एक मास में ,ब्रह्म मुहूर्त का स्वप्न दस दिन में तथा सूर्योदय से पूर्व देखे गये स्वप्न का फल उसी दिन प्राप्त की संभावना प्रबल होती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि रात में शुभ स्वप्न दिखाई दे और नींद टूट जाय तो स्वप्न देखने के बाद दोबारा नहीं सोना चाहिए। उसी समय स्नानादि करके भगवान की पूजा करके उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। शुभ स्वप्न को देखने पर उसके फल प्राप्ति के लिए अपना स्वप्न किसी को नहीं बताना चाहिए। 

अशुभ स्वप्न दिखने पर यदि फिर से सो जाएँ तो उसका अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है |
अशुभ स्वप्न देखने पर प्रात: काल घर के बड़े बुजुर्गो को अथवा पीपल के पेड़ को इस स्वप्न के विषय में बता देना चाहिए। इससे स्वप्न के अशुभफल में कमी आ जाती है। अशुभ स्वप्न आने पर उसकी शान्ति के लिए ईश्वर का पूजन ,,हवन, ब्राह्मण भोजन और दान करने से अशुभ फल समाप्त हो जाते है |
 

 

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