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शनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करेशनि देव 2 नवंबर ,2014 से वृश्चिक राशि में प्रवेश ,मंगल की राशि वृश्चिक में शनि देव के प्रवेश से कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक , पारिवारिक और प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शनिदेव वृश्चिक राशि में ढाई वर्ष तक रहेंगे सूर्य पुत्र शनि और भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जाने से कई उत्तर चढ़ाव होंगे
शनि देव मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी है। यह तुला राशि में २० अंश उच्च तथा मेश राशि में २० अंश पर नीच यानि अशुभ माने गए है ।
शनि देव की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि देव के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
ज्योतिष में शनि देव को पापी ग्रह कहा जाता है, लेकिन शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करता है, यदि आप अपने पुण्य किए हैं तो अच्छे फल, यदि आप ने पाप किए हैं तो बुरे परिणाम मिलेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन के साथ ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़े साती पूर्ण होगी एवं तुला राशि के जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम जबकि वृश्चिक जातकों के लिए दूसरा चरण शुरू होगा। धनु राशि वाले जातकों के लिए साढ़े साती का प्रारंभ समय है।
सिंह व मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि की छोटी पनौती रहेगी।
इन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव -
मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।
सिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।
तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।
वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।
धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।
मेष, कन्या और कुंभ राशिवालों के लिए भाग- दौड़ की अधिकता रहेगी, समय और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
वृष, सिंह और धनु राशिवालों के लिए मिले-जुले सामान्यफल की प्राप्ति हो पाएगी
मिथुन, तुला और मकर - चांदी - मान-सम्मान के साथ, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के अवसर मिलेंगे।
कर्क, वृश्चिक, मीन - लोहा - शारीरिक कष्ट तो होगा परन्तु उन्नति व धन प्राप्ति के अवसर भी प्राप्त होंगे।
तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढय्या प्रारंभ हो रही है।
जिन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती व ढय्या रहेगी, उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए खास उपाय करना चाहिए, ये उपाय इस प्रकार हैं-
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है
ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: या ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. शनिवार की शाम को पीपल की जड़ में सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
* श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे