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कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर पूजा से पहले स्नान करें और माथे पर चंदन लगाएं। इसके बाद घर में बने मंदिर में जाएं और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को भी स्नान कराएं। मूर्ति को दूध, घी, फूल और सादा पानी से नहलाएं। स्नान कराने के बाद उन्हें पीले वस्त्र धारण कराएं और पीले रंग के आभूषणों से उनका श्रृंगार करें। इसके बाद उन्हें दोबारा से मंदिर में विराजमान करा दें। नहलाने के बाद मूर्ति के साथ खाना, फूल, पानी और घी का दिया रख दें। पूजा के लिए एक पवित्र और साफ सुथरी थाली लें, उसमें गंगाजल, कुमकुम, चंदन, धूप, दीपक और कुछ फूल रख लें। इसके अलावा एक दूसरी प्लेट और लें जिसमें फल-फूल और पानी रखें। इसके साथ ही उसमें घी या तेल का दीपक रख लें।
इसके बाद अपने बाएं हाथ से पानी लेकर सीधे हाथ से पानी लें और ‘ओम अच्युत्याय नम:’ का जाप करें। उस पानी को तुरंत पी जाएं। अब भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाएं और दीपक जला देंगे। उसके बाद कृष्ण भजन गाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास सात बार धूपबती घुमाएं। अब भगवान श्री कृष्ण के पैरों पर कुमकुम लगाएं और उसके बाद उसे अपने माथे पर लगा लें। पूजा के दौरान श्री कृष्ण से अपने पापों के लिए माफी मांगे। इसके बाद जो फल, पानी और फूल भगवान को चढ़ाए थे, उन्हें आप भी खा सकते हैं।
शुभ मुहूर्त: इस बार जन्माष्टमी 2 सितम्बर, दिन रविवार को है।
निशीथ पूजा का शुभ मुहूर्त: रात में 23:58 -00:44 तक।