होलाष्टक से जुड़ी मान्यता

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  • होलाष्टक को लेकर मान्यता है कि प्राचीन समय में दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए दैत्यराज ने उस समय फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से भक्त प्रह्लाद को बंदी बना लिया था और तरह-तरह की यातनाएं दी थी। इसके बाद पूर्णिमा पर होलिका ने भी प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया, लेकिन वह स्वयं ही जल गई और प्रह्लाद बच गए। होली से पहले इन आठ दिनों में प्रह्लाद को यातनाएं दी गई थीं, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु का ध्यान करता रहा और उसे भगवान की कृपा प्राप्त हुई।

    ये हैं भगवान विष्णु के उपाय

    1. रोज जल्दी उठें और अपनी हथेलियां देखें। भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप 108 बार करें।

    2. स्नान आदि कामों के बाद किसी मंदिर जाएं। विष्णु भगवान को केले का और हलवे का भोग लगाएं।

    3. विष्णुजी के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा जरूर करें।

    4. विष्णुजी के अवतार श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं।

    5.सूर्यास्त के बाद हनुमान मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें।

     

     

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