ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दूसरे विवाह को देखने के लिए

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सप्तम स्थान का कारक यदि पापी ग्रह से युत अथवा नीच नवांश अथवा शत्रु नवांश अथवा अष्टमेश के नवांश में हो, तो भी जातक के दो विवाह होते हैं।
यदि सप्तमेश और एकादशेश साथ हों अथवा एक दूसरे पर दृष्टि रखते हों, तो जातक के कई विवाह होते हैं। प्रेम संबंध के योग: प्रेम संबंध पंचम भाव से देखा जाता है।
लग्नेश एवं पंचमेश का संबंध (चतुर्विध) प्रेम संबंध का द्योतक होता है।
पंचमेश तथा सप्तमेश की एकादश भाव में युति भी प्रेम संबंध को बढ़ावा देती है।
पंचमेश भाव में शुभकर्तरी तथा सप्तम भाव का पापी प्रभाव में होना एवं लग्नेश की पंचम भाव पर दृष्टि यह सारी ग्रह स्थिति प्रेम संबंध को बढ़ावा देती है।