गुरु बनाना है तो महादेव शिव शंकर को बनाओ

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गुरु बनाना है तो महादेव शिव शंकर को बनाओ
गुरु बनाना है तो महादेव शिव शंकर को बनाओ

स्त्री के लिए उसका गुरु क्या उसका पति हो सकता है. ...एक अकाट्य सत्य : कहा जाता है कि एक समय जब महादेव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान थे तभी जल के कुछ छीटे महामाई पारवती पर पड़े तब माँ ने शिव जी पूछा की ये छीटे कैसे ...तब महादेव ने ध्यान लगाने के बाद उन्हें बताया कि दूर कहीं किसी समुद्र में किसी बहुत बड़ी मछली के पलटी मारने से ये छीटे यहाँ तक पहुंचे हैं... तब मां पारवती ने उस महा मछली को गुरु बनाने की इच्छा परकत करी ...तब महादेव ने बहुत समझाया कि किसी भी शादीशुदा महिला का गुरु केवल और केवल उसका पति ही होता है... पर माता नहीं मानी ... वो उस मछली के लिए कैलाश पर अपने पति का आश्रय छोड़ कर निकल पड़ी... मछली के पास पहुँचीं और गुरु बन ने का निवेदन किया ... मछली ने साफ़ साफ बोला की गुरु बनाना ही है तो उस समुन्द्र को बनाओ जिसमे मुझ जैसी असंख्य मछलियाँ आश्रय पाती हैं .... मां समुन्द्र के पास गयीं और गुरु बन ने के लिए अनुनय विनय करी .... समुन्द्र ने हाथ जोड़ कर बोला की है भगवती गुरु बनाना है तो उस धरती माँ को बनाये जिसमे मेरे जैसे ७-७ समुन्द्र आश्रय पाते हैं... तब मां भगवती धरती माँ के पास गयी और गुरु बन ने के लिए प्रार्थना करी... धरती माँ तब बोली कि मैं तो कुछ भी नहीं ...अगर गुरु बनाना है तो उस शेषनाग को बनाओ जिसने मुझे धारण कर रखा है... तब माता शेषनाग के पास गयीं और गुरु बन ने के लिए प्रार्थना करी ... शेषनाग ने स्पष्ट किया कि मैं तो कुछ भी नहीं ... अगर गुरु बनाना है तो महादेव शिव शंकर को बनाओ क्योंकि उन्होंने अपने कंठ में मुझे धारण कर रखा है... तब माँ भगवती को ज्ञात हुआ कि शिव जी ने सही बोला था....