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निशा घई
आपको भी यह सुनकर आश्चर्य होगा कि वक्री शनि भी भाग्योदय का कारण बन सकता है। दरअसल, शनि, 25 मार्च 2016 की दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर वक्री हुआ था। नक्षत्र है ज्येष्ठा और राशि है वृश्चिक। शनि मार्गी हो रहा है, 12 अगस्त 2016 को अनुराधा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में।
शनि के बारे में आम धारणा
शनि ग्रह के बारे में आम धारणा है कि शनि ग्रह चाहे तो राजा बना दे या रंक। जिसकी जन्म कुण्डली में शनि बहुत अच्छी स्थिति में होता है उसे शनि विशेष हानि नहीं पहुंचाता बल्कि लाभ देता है। जिन जातको की कुण्डली में शनि, नीच स्थिति पर होता है, उन्हें शनि से हानि होती है। परन्तु यह हानि जीवन भर नहीं रहती, क्योंकि हमारे जीवन में दशा और गोचर का भी महत्व होता है।
कुण्डली में शुभ शनि के प्रभाव
उच्च स्थिति में बैठा शनि, अपने घर का या मूल त्रिकोण राशि में बैठा शनि अच्छा माना जाता है। ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है, स्थिर, गम्भीर बुद्धिमान होता है। जातक की आयु लम्बी होती है। उसकी दार्शनिक प्रवृत्ति होती है। व्यक्ति परिश्रमी होता है और धन अर्जित करता है। नौकरी में उच्च पद पर पहुंचता है। हस्तरेखा विज्ञान में भी अच्छी शनि रेखा (भाग्य रेखा) का बहुत महत्व है।
कुण्डली में अशुभ शनि का प्रभाव
शनि अगर नीच स्थिति में है तो व्यक्ति शंकालु निराशावादी चापलूस, अलगाववादी बनता है। पढ़ने में उसका मन नहीं लगता। नाक और सांस सम्बन्धी तकलीफ से ग्रस्त रहता है।
आजकल शनि कहां गोचर कर रहा है?
फिलहाल शनि वक्री होकर वृश्चिक राशि में मंगल के साथ गोचर कर रहा है। मेष और सिंह राशि की ढैया और तुला वृश्चिक और धनु राशि पर साढ़ेसाती चल रही है।
वक्री शनि का प्रभाव
जिन जातकों की जन्म कुण्डली में शनि शुभ स्थान पर है या गोचर अच्छा चल रहा है उनके लिये वक्री शनि परेशानी लायेगा। उन्हें पैरों की तकलीफ, कार्यो में रूकावट, जोड़ों का दर्द, नौकरी में परेशानी होगी। धातु, लोहा, बहुमूल्य रत्न, अनाज का व्यापार करने वाले जातकों के लिये यह समय अस्थिरता का रहेगा।
वक्री शनि किसके लिए शुभ
जिन जातकों की कुण्डली में शनि अशुभ भाव में स्थित है अथवा गोचर में अशुभ चल रहा है, उनके लिये यह समय शुभ रहेगा। नौकरी में तरक्की की सम्भावना बढ़ेगी, धन का लाभ होगा। क्रूड ऑयल, शेयर बाजार, कोयला, स्टील सम्बधी व्यापारियों को फायदा होगा।
शनि के दुष्प्रभाव कम करने के उपाय
- 7 प्रकार के अनाज व दालों को मिश्रित करके पक्षियों को खिलायें।
- बैगनी रंग का रूमाल जेब में रखें।
- शनि मंदिर में शनि की मूर्ति पर तिल या सरसों का तेल चढ़ाएं।
- नीलम या उपरत्न नीली को तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर पहनें।
- शनि यंत्र की रोज उपासना करें।
- फिरोजा रत्न गले में धारण कर सकते हैं।
शनि की साढ़ेसाती के उपाय
- शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल से उंगूठी बनवायें। उसे तिल के तेल में सात दिन तक रखें। शनि मंत्र का 23000 जाप करें। शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय धारण करें।
- शनिवार को व्रत रखें। सांयकाल में ही भोजन करें।
- शनि बीज मंत्र का 23000 जाप सांयकाल को करें, ऊँ प्रां प्री सः श्नैश्चराय नमः
- बेसन या छोले से बने पदार्थ गरीबों को खिलायें।