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दक्षिण दिशा में क्या हो, क्या न हो....?
दक्षिण दिशा पर मुख्यत: मंगल देव का अधिपत्य है उनके साथ ही इस स्थान पर यम तथा राहु - केतु का भी प्रभाव व नियंत्रण वास्तुशास्त्र में माना गया है | यदि यह स्थान जादा खुला हो तो राहु केतु तथा यम का प्रकोप परिवार पर ज्यादा बढ़ जाता है जिसके प्रभाव से जीवन में पग पग विघ्न - बाधा का सामना करना पड़ता है |
क्या हो-
- किसी भी व्यक्ति के जीवन में इस्थाय्त्व के लिए इस स्थान का घर में सबसे ऊँचा व भारी होना अनिवार्य है |
- घर के वृद्ध व वरिस्थ सदस्यों का कमरा यहाँ बनाये |
- घर में या व्यापारिक स्थान में मालिक की जगह यहाँ लाभ देती है व उपयुक्त होती है |
- घर की सभी बड़ी व भारी वस्तु यहाँ रखे |
- यह स्थान स्टोर व शौचालय के लिए भी उपयुक्त माना गया है |
- यह स्थान धन रखने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है |
क्या न हो-
- यह स्थान ज्यादा खुला नहीं होना चाहिए |
- दक्षिण क्षेत्र का बढ़ा होना भी अशुभ होता है |
- इस स्थान में घर के छोटे बच्चो को कमरा न दे, उनका स्वाभाव व प्रकर्ति जिद्दी हो जाती है |
- पूजा स्थान यहाँ न बनाये |
- किरायेदारो व मेहमानों को यहाँ कभी भी स्थान न दे |