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अल्पायु योगों में अधिकतम आयु सीमा 32 वर्ष मानी जाती है, विद्वानों ने बाल अरिष्ट में आयु की गणना 16 वर्ष तक ही मानी है, ज्योतिष के अनुसार अल्पायु के कुछ योग इस प्रकार हैं ---
1- कर्क के नवमांश में शनि हो और उस पर गुरू की दृष्टि हो तो जातक की आयु 16 वर्ष होती है।
2- मिथुन के नवमांश में स्थित शनि को लग्नेश देखता हो तो 17 वे वर्ष में मृत्यु होती है।
3- लग्नेश और अष्टमेश दोनों पाप ग्रह हो वे एक दूसरे की राशि में हो या 12 वे एवं 6 ठे स्थान में हो और गुरु के साथ न हो तो 18 वे वर्ष में मृत्यु होने की संभावना रहती है।
4- गुरु के नवमांश में स्थित शनि पर राहु की दृष्टि हो तथा उच्च राशि में स्थित लग्नेश को शुभ ग्रह नहीं देखते हो तो 19 वे वर्ष में मृत्यु होने की संभावना रहती है।
5- केंद्र में पाप ग्रह हो उन्हें चन्द्रमा या शुभ ग्रह न देखते हों तो जातक की आयु 20 वर्ष की होती है।
6- कर्क लग्न में गुरु के साथ सूर्य हो तथा अष्टमेश केन्द्र में हो तो 22 वे वर्ष में मृत्यु होने की संभावना होती है।
7- शनि शत्रु की राशि में स्थित हो तथा शुभ ग्रह आपोक्लिम स्थानों पर हो तो जातक की आयु 26 या 27 वर्ष की होती है।
8- चंद्रमा का शनि से संबंध हो तथा सूर्य अष्टम में स्थित हो तो मनुष्य की आयु 29 वर्ष की होती है।
9- जन्म- पति और अष्टमेश के बीच चंद्रमा हो तथा वृहस्पति 12 वे स्थान पर हो तो 27 से 30 के बीच में मृत्यु होने की संभावना रहती है।